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विश्व अस्थमा दिवस’ मनाने की शुरुआत इसीलिए हुई ताकि लोगों को इस रोग के प्रति जागरूक किया जा सके

विश्व दमा (Asthma) दिवस
हरदोई। बढ़ते प्रदूषण और गलत जीवनशैली से दमा के रोगियों की संख्या बढ़ी है। जब तक लोग इस रोग को समझ पाते हैं, तब तक यह विकराल रूप धारण कर चुका होता है। ‘विश्व अस्थमा दिवस’ मनाने की शुरुआत इसीलिए हुई ताकि लोगों को इस रोग के प्रति जागरुक करके इसकी रोकथाम की जा सके।
शहीद उद्यान स्थित कायाकल्प केंद्र के संस्थापक व प्रख्यात नेचरोपैथ डॉ० राजेश मिश्र ने बताया कि दमा न होने दें यदि हो जाए तो अपनी जीवनशैली को सुधार कर इसे ठीक कर लें क्योंकि दमा के बारे में कहा जाता है कि ‘दमा दम के साथ जाता है’ या जाता है प्राकृतिक जीवन जीने से। नेचरोपैथ डॉक्टर राजेश मिश्र ने बताया कि कफकारक आहार का पूर्णतः त्याग कर देने से रोग की रोकथाम होती है और कफ निवारक आहार लेने से नया कफ नहीं बनता। इसके साथ-साथ हवन करने के बाद प्राणायाम करने से श्वसनतंत्र सक्रिय होता है।
डॉ० मिश्र ने बताया कि दमा को समाप्त करने के लिए आहार-विहार, व्यायाम, हवन प्राणायाम, ध्यान तथा संशोधन कर्म की आवश्यकता होती है। बताया यज्ञाग्नि में अजवायन, लौंग, अडूसा के पत्ते, तुलसी, हल्दी, सोंठ, बबूल की छाल आदि औषधीय सामग्री को समान मात्रा में मिलाकर हवन करने से दमा के रोगियों को आराम मिलती है। उनके अनुसार यज्ञोपरान्त प्राणायाम करने से यज्ञ-धूम ऑक्सीजन के साथ मिलकर इन्हेलर की तरह काम करता है।

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