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राष्ट्रीय महिला आयोग एवं उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय विधिक जागरूकता शिविर का आयोजनः

उन्नाव। (सू0वि0) आज जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार व उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्या मनोरमा शुक्ला की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में राष्ट्रीय महिला आयोग एवं उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित समस्त महिलाओं को अपने हक की लड़ाई लड़ने व हो रही हिंसा के विरुद्ध कदम उठाने हेतु अनेकों उपाय बताए गए। जिसमें सर्वप्रथम एडवोकेट श्रीमती रेनू तिवारी द्वारा दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम-2005 भारत में महिलाओं के संपत्ति और भरण पोषण अधिकार हेतु विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने दहेज निषेध अधिनियम 1961 के बारे में बताया कि इस अधिनियम के अनुसार दहेज लेने देने या इसके लेनदेन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और रूपये 15000 के जुर्माने का प्रावधान है। दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए जोकि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा संपत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है, के अंतर्गत 03 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है। धारा 406 के अंतर्गत लड़की के पति और ससुराल वालों के लिए 03 साल की कैद अथवा जुर्माना या दोनों, यदि वे लड़की के स्त्रीधन को उसे सौंपने से मना करते हैं।
यदि किसी लड़की का विवाह के साथ साल के भीतर असामान्य परिस्थितियों में मौत होती है और यह साबित कर दिया जाता है कि मौत से पहले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 304-बी के अंतर्गत लड़की के पति और रिश्तेदारों को कम से कम 07 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। उन्होंने कहा कि आज जीवन विलासी होता जा रहा है जो सामान लड़के पहले 15-20 साल काम करके इकट्ठा कर पाते थे, वही सामान आज लड़के विवाह के समय बटोर लेना चाहते हैं। यह उपभोक्तावादी प्रवृत्ति भारतीय सभ्यता और संस्कृति के नितान्त विरुद्ध है। आज इन पवित्र परंपराओं के प्रति हमारा दृष्टिकोण दूषित होता जा रहा है। दहेज एक सामाजिक समस्या है जिसका उन्मूलन तभी हो सकता है जब हम सब संकल्प पूर्वक इसकी विरुद्ध कदम उठाएं।
महिला चिकित्सक श्रीमती रिचा चंद्र द्वारा कन्या भ्रूण हत्या से संबंधित जानकारी दी गई उन्होंने बताया बच्चे के गर्भ में आते ही उसे मार दिया जाना कानूनी अपराध होता है ऐसा करने पर कानूनी कार्यवाही की जाती है।
वन स्टॉप सेंटर की सेंटर मैनेजर श्रीमती ज्योति मिश्रा द्वारा महिलाओं को दी जाने वाली सहायता महिलाओं की किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए 24 घंटे टोल फ्री नंबर 181 के बारे में विस्तार से बताया गया, महिलाओं को बताया गया कि महिलाओं/ लड़कियों के साथ मारपीट हेतु,घरेलू हिंसा हेतु, एसिड अटैक हेतु, रास्ते में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ हेतु, बलात्कार हेतु, दहेज उत्पीड़न की समस्या हेतु, महिला की किसी भी प्रकार की सहायता हेतु 24 घंटे दी जाने वाली सुविधाएं उपलब्ध हैं। जिनके द्वारा महिलाओं या बालिकाओं को तत्काल सहायता प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार में महिलाओं के लिए एक योजना लागू की है जिसमें महिलाओं की सुरक्षा एवं सम्मान के लिए सुविधा प्रदान की जाती है जहां निःशुल्क परामर्श/सहायता चिकित्सा सुविधा, पुलिस सहायता आदि दी जाती हैं। उन्होंने बताया कि यह केंद्र उन्नाव के जिला अस्पताल के परिसर में संचालित है जिस का लैंडलाइन नंबर 0515-2823023 है।
महिला पुलिस अधिकारी (क्षेत्राधिकारी सफीपुर) श्रीमती बीनू सिंह द्वारा मानव तस्करी/साइबर क्राइम के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए बताया गया कि साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जिसमें कंप्यूटर और नेटवर्क शामिल है। किसी भी कंप्यूटर का अपराधी के स्थान पर मिलना है या कंप्यूटर से कोई अपराध करना कंप्यूटर अपराध कहलाता है। कंप्यूटर अपराध में नेटवर्क शामिल नहीं होता है किसी की निजी जानकारी को प्राप्त करना और उसका गलत इस्तेमाल करना किसी की भी निजी जानकारी कंप्यूटर से निकाल लेना या चोरी कर लेना भी साइबर अपराध है। उन्होंने बताया कि कंप्यूटर अपराध भी कई प्रकार से किए जाते हैं जैसे की जानकारी चोरी करना, जानकारी मिटाना, जानकारी में फेरबदल करना, किसी की जानकारी को किसी और को देना या कंप्यूटर के भागों को चोरी करना या नष्ट करना। साइबर अपराध भी कई प्रकार के हैं जैसे कि स्पैम, ईमेल, हैकिंग, फिशिंग वायरस को डालना, किसी की जानकारी को ऑनलाइन प्राप्त करना या किसी पर हर वक्त नजर रखना। उन्होंने कहा कि सबसे पहले हम महिलाओं को अपनी शिकायत को रखना आना चाहिए, उसे एक पेपर पर लिखना चाहिए उसके बाद घर में सबसे बड़े सदस्य तक इस बात को पहुंचाना चाहिए अगर घर वाले आपकी बात को नहीं समझते हैं तो नजदीकी थाने में जाकर इसकी शिकायत करनी चाहिए जहां सुलह समझौता कराया जाता है, दोनों पक्ष इकट्ठा होते हैं दोनों की बात को सुना जाता है सुलह समझौता करा दिया जाता है। अगर उसके बाद भी कोई समस्या आती है तो उसके लिए महिला थाना हमारी सहायता करने के लिए तत्पर है।
किशोर न्याय बोर्ड की सदस्या सुश्री मृदुला अस्थाना जी द्वारा बहुत ही भावुक कविता द्वारा अपने विचार स्पष्ट करते हुए समस्त महिलाओं को जागरूक किया गया।
बाल कल्याण समिति की सदस्या सुश्री मालती शर्मा जी द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, कन्या सुमंगला योजना के तहत बच्चों से संबंधित जानकारी दी गई। उन्होंने बताया हमारे देश में 0 से 6 आयु वर्ग में बालिकाओं के गिरने लिंग अनुपात की प्रवृत्ति को देखते हुए इसे सुधारने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय स्वास्थ्य मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त प्रयासों के अंतर्गत बालिकाओं को संरक्षण और सशक्त करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का शुभारंभ किया गया है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के मुख्य उद्देश्य को बताते हुए उन्होंने बताया कि पक्षपाती लिंग परीक्षण की प्रक्रिया का उन्मूलन, बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना, बालिकाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करन, बालिकाओं के प्रति रूढ़िवादी सोच विचार को समाप्त करना इस योजना के उद्देश्य हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु जनपद के स्कूलों की बालिकाओं की सुरक्षा, गुड टच एवं बैडटच कानूनी अधिकारों की जानकारी प्रदान करना, जनपद ब्लॉक एवं ग्राम पंचायत स्तर पर बच्चियों को जन्मदिन मनाना, बच्चियों का नामकरण करना एवं बच्चियों के जन्म प्रमाण पत्र वितरित किया जाना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ विषय पर नुक्कड़ नाटक, एफएम रेडियो, समाचार पत्रों आदि के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जाना, जनपद में कार्यरत पीसीपीएनडीटी एक्ट सेल को सक्रिय करने एवं मुखबिरों से संपर्क किए जाने तथा जनपद के समस्त अल्ट्रासाउंड सेंटरों में मशीनों का नियमित रूप से निरीक्षण किए जाने, बाल जन्म का रिकॉर्ड एकत्रित करने एवं शिकायत ही पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों का नियमित रूप से निस्तारण कराया जाना, जनपद की प्रतिभाशाली बेटियों को पुरस्कृत/सम्मानित किया जाना, ग्राम स्तर पर आयोजित होने वाली वी0एच0एम0एन0सी0 कमेटी की बैठकों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का प्रचार-प्रसार किया जाना आदि इस योजना की रणनीतियां है। उन्होंने बताया कि समाज में प्रचलित कुरीतियों एवं भेदभाव जैसे कन्या भ्रूण हत्या, असमान लिंगानुपात, बाल विवाह एवं बालिकाओं के प्रति परिवार की नकारात्मक सोच जैसी प्रतिकूलताओं के कारण प्रायः बालिकाए,ं महिलाएं अपने जीवन संरक्षण स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे मौलिक अधिकारों से वंचित रह जाती हंै ।इस परिवेश के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कन्या सुमंगला योजना अंतर्गत बालिकाओं एवं महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा के साथ विकास हेतु नए अवसर प्रदान करने के लिए यह योजना प्रारंभ की गई है। उन्होंने बताया प्रथम श्रेणी पर बालिका के जन्म होने पर रूपये 2000 एकमुश्त, द्वितीय श्रेणी में बालिका के 1 वर्ष तक के पूर्ण टीकाकरण के उपरांत रूपये 1000 एकमुश्त की धनराशि, तृतीय श्रेणी में कक्षा प्रथम में बालिका के प्रवेश के उपरांत रूपये 2000 एकमुश्त की धनराशि, चतुर्थ श्रेणी में कक्षा 6 में बालिका के प्रवेश के उपरांत रूपये 2000 एकमुश्त, पंचम श्रेणी में कक्षा 9 में बालिका के प्रवेश के उपरांत रूपये 3000 एकमुश्त, षष्ट्म श्रेणी में ऐसी बालिकाएं जिन्होंने कक्षा बारहवीं उत्तीर्ण करके स्नातक डिग्री या कम से कम 02 वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लिया हो उन्हें रूपये 5000 एकमुश्त की धनराशि का प्रावधान है।
महिला कल्याण विभाग एवं जिला प्रोबेशन अधिकारी श्रीमती रेनू यादव द्वारा पति की मृत्यु के उपरांत निराश्रित महिला पेंशन योजना हेतु पात्रता हेतु आवश्यक शर्तें बताते हुए बताया गया कि पति की मृत्यु का प्रमाण पत्र, परिवार की वार्षिक आय दो लाख से अधिक न हो (आय प्रमाण पत्र) किसी भी राष्ट्रीय कृत बैंक में खाता संचालित हो, आधार कार्ड/वोटर आईडी /राशन कार्ड/ दो फोटो पासपोर्ट साइज, अन्य किसी पेंशन योजना से लाभ न प्राप्त कर रही हो।
उन्होंने बताया इसके आवेदन की प्रक्रिया किसी भी काॅमन सर्विस सेंटर पर उपरोक्त अभिलेखों के साथ ेेचलण्वतहण्पद पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। उन्होंने बताया शहरी क्षेत्र में एसडीएम एवं ग्रामीण क्षेत्र में वीडियो की जांच ओपन नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही पूर्ण की जाती है। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री कन्यासुमंगला योजना के बारे में भी जानकारी दी उन्होंने बताया इस योजना की पात्रता हेतु उत्तर प्रदेश का स्थाई निवास प्रमाण पत्र, परिवार की वार्षिक आय अधिकतम 03 लाख, अधिकतम दो ही बच्चियों को योजना का लाभ, परिवार में दो से अधिक बच्चे (लड़का/लड़की) होने की परिस्थिति में योजना का लाभ नहीं ले सकते, दूसरे प्रसव में जुड़वा बच्चे होने पर तीसरी संतान के रूप में लड़की को भी लाभ अनुमन्य होगा, यदि किसी महिला को पहले प्रसव से बालिका है वाह दूसरे प्रसव से दो जुड़वा बालिकाएं ही होती हंै तो केवल ऐसी अवस्था में ही तीनों बालिकाओं को लाभ अनुमन्य होगा। उन्होंने बताया इस योजना हेतु आवेदन की प्रक्रिया इस प्रकार है बालिका स्वंय (यदि वयस्क हो), माता/पिता या अभिभावक आवेदक हो सकते हैं, ऑनलाइन आवेदन-कॉमन सर्विस केंद्रों/साइबर कैफे /स्वयं के स्मार्टफोन से या कंप्यूटर के माध्यम से ीजजचेरूउोलण्नचण्हवअण्पद पर लॉगिन करके आवेदन करें अथवा अपने जनपद के जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है। उन्होंने बताया आवेदन हेतु आवश्यक अभिलेख रूपये 10 के स्टाम्प पर शपथ पत्र- आवेदन कर्ता का वोटर कार्ड /आधार कार्ड/आवेदक की पासबुक की छायाप्रति /माता/पिता/आधार कार्ड/वोटर कार्ड/5 श्रेणी से संबंधित प्रमाण पत्र आदि आवश्यक हैं।
कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी श्री रवीन्द्र कुमार ने कहा निश्चित रूप से इस शिविर के माध्यम से जनपद की समस्त महिलाओं को नई-नई जानकारी प्राप्त होगी। प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं महिलाओं की समस्याओं के समाधान हेतु कमेटी हर विभाग में गठित होनी चाहिए। उन्होंने कहा सभी कार्यालयों में कमेटी बनवाली जाएं जिससे कि महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों की जानकारी उच्चाधिकारियों तक पहुंच सके व उनकी समस्याओं का समाधान भी हो सके। जिलाधिकारी महोदय ने कन्या सुमंगला योजना के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि प्रदेश में जनपद उन्नाव प्रथम स्थान पर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी थोड़ी सी मेहनत से कई लोगो तक हम योजनाओं का लाभ पहुंचा सकते हैं सभी को अपने अधिकारों के मामले में जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने स्थानीय शिकायत कमेटी के बारे में बताया कि अगर प्रकरण ऐसा हो कि जिस कार्यालय में नियोक्ता (बॉस) के विरुद्ध ही शिकायत है और कार्यालय में कमेटी नहीं बनी हुई है ऐसे प्रकरण की शिकायत पीड़िता द्वारा बिना डरे स्थानीय निकाय कमेटी में की जा सकती है। जहां पर पीड़िता की हर समस्या का समाधान किया जाएगा।
अंत में माननीय सदस्या राज्य महिला आयोग, श्रीमती मनोरमा शुक्ला जी द्वारा महिलाओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा गया कि महिलाओं को पीड़ा बिल्कुल भी नहीं सहनी चाहिए, उन्हें आगे बढ़ कर अपनी बात को रखना चाहिए अपनी शिकायत को जरूर करना चाहिए, अपने हक के लिए लड़ना चाहिए, उन्हें घबराना बिल्कुल भी नहीं चाहिए, अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने पर जोर दिया जाए वह हम सभी महिलाएं अपने आस-पड़ोस अपने बच्चों को सभी को जागरूक भी करें।
इस कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया जिसमें जिला प्रोबेशन अधिकारी व समस्त स्टाफ, डीईएसटीओ श्रीमती सुगन्धा चर्तुवेदी सहित कलेक्ट्रेट व विकास भवन की समस्त महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
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*जिला सूचना कार्यालय, उन्नाव।*

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