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जनपद के कोने-कोने में फैला सूदखोरों का काला कारोबार 

उन्नाव। मुनाफखोरों ने आम-आदमियों को लूटने का नायाब तरीका अपना लिया है।  लाख-दो लाख-चार लाख रूपये लेकर मुनाफाखोर बाजार में आकर कम आमदनी वालों को मन माफिक दरों पर रूपया मुहैया कराने का जाल बिछा रहे हैं, वैसे मुनाफाखोरों के इस खेल में अधिकाॅशतः लोग व्यवसाय आदि से जुड़े हैं।  जिससे यह उचित ब्याज वसूल रहे हैं।  चैकाने वाली बात तो यह है कि अधिकतर मुनाफाखोर तो सरकारी लाइसेंस व इससे सम्बन्धित शुल्क भी सरकारी खजाने में नहीं जमा कर रहें, फिर भी इनका रंग-चोखा है।  एक अह्म बात यह है कि ब्याज पर रूपया लाकर अधिक मुनाफा कमाने वालों में जनपदवासियों के अलावा गैर जनपदों से आये लोग भी बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं। उल्लेखनीय हो कि स्थानीय जनपद में खासकर शहर के बाजार में ब्याज पर पैसा चलाकर अधिक मुनाफा कमाने वालों का सिक्का चल रहा है।  ब्याजखोरों के मन में न तो प्रशासन का डर है, और न ही पुलिस का खौफ।  इन्हें हर ओर बस रूपया ही रूपया नजर आ रहा है।  ऐसा हो भी क्यों न? जब कभी-कभार इन ब्याजखोरों पर आयकर आदि सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों ने शिकंजा कसने की कवायद अमल में लाई तो एकाध बार तो विभागीय गोपनीयता भंग होने के चलते ब्याजखोर अधिकारियों के चुंगल से बच निकले और पर कभी पकड़-धकड़ हो भी गई तो सफेदपोश बचाव में उतर आते हैं।  गौरतलब है कि इन दिनों शहरी व ग्रामीण इलाके झुराखन खेड़ा, लोक नगर, जवाहर नगर, शेखपुर, आदर्श नगर, पी.डी. नगर, ए.बी. नगर, कलक्टरगंज, आवास विकास, सुल्तानखेड़ा, सिकन्दरपुर, हाजीपुर, करोवन, बनकटा, परमनी, देवारा, शुक्लागंज सहित दर्जनों मोहल्ले व गाॅव ब्याजखोरों की गिरत में हैं।  आमतौर से मध्यम और व्यवसाई वर्ग के लोग इन ब्याजखोरों का शिकार बनते हैं। दरअसल कारण यह है कि सरकारी व सरकार के अधीनस्थ बैंकों से कर्ज मिल पाना आसमान से तारें तोड़ने के बराबर है।  यदि कर्ज में ली जाने वाली रकम के लिये दस प्रतिशत की खुली रिश्वत व्यक्ति-विशेष के पास नहीं तो लाख कागजात दुरूस्त हों, लेकिन बैंक कर्मी कोई न कोई खामी निकाल कर लौटा देते हैं।  ऐसे में अपना काम निकालने के लिए इन व्यक्तियों को इन्हीं ब्याजखोरों की चैखट पर दस्तक देनी पड़ती है और यह ब्याजखोर पाॅच प्रतिशत से लेकर पन्द्रह और बीस प्रतिशत ब्याज के आधार पर माॅगी गयी रकम मुहैया कराते हैं।  सूत्रों की मानें तो इस समय शहर में ही करीब दो दर्जन से अधिक ब्याज पर रूपया चलाने वाले मुनाफाखोर अपने धन्धे चमकाने में लगे हैं।  जिनके पास सरकारी कागजात के नाम एक भी आदेश नहीं है।  यही नहीं बल्कि ब्याज पर रूपया चलाने वालों की सूची में वह नाम सामने आ रहे हैं जो शहर तो दूर जनपद से उनका दूर-दूर तक कोई नाता ही नहीं है, लेकिन कुछ सफेदपोश आकाओं को माहवारी देकर वह यहाॅं अपना पैर जमा रहे हैं।जानकार सूत्र बताते हैं कि शहरी क्षेत्र में ऐसे-ऐसे सूदखोर मौजूद हैं, जो आम लोगों को तो 20 प्रतिशत प्रतिमाह की दर से ब्याज पर तो देते ही हैं, वहीं सरकारी कर्मचारियों को भी ब्याज पर पैसा देने में कोई हिचक तक महसूस नहीं करते हैं।  इसका कारण है कि सरकारी कर्मियों की मासिक तनख्वाह निर्धारित तिथि को मिल जाती है, यदि तनख्वाह मिलने के बाद ब्याज लेने वाला व्यक्ति सूदखोर के घर तक प्रतिमाह ब्याज नहीं पहुॅचाता है तो सूदखोर अपने प्राइवेट गार्डों के जरिए उस सरकारी कर्मी की सरेराह फजीहत करवा देता है, जिसके चलते कोई भी सरकारी कर्मी समय पर ब्याज न पहुॅचाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है।  लोगों का तो यहाॅं तक कहना है कि इन सूदखोरों से तंग होकर कई लोगों ने जहरीला पदार्थ खाकर मौत को गले लगा लिया है, लेकिन सूदखोरों की पहुॅच के चलते पुलिस ने भी मोटी रकम लेकर उन घटनाओं को आत्म हत्या करार देकर मामले को रफा-दफा करने का ही काम किया है।  इस समय शहर में एक कथित सूदखोर की चर्चा आम है। कहते हैं कि यह सूदखोर शेर की खाल ओढे़ शेर जैसी दहाड़ मारकर लोगों के अन्दर दहशत पैदा किये हुए है, जिसके चलते ब्याज पर पैसा लेने वाले लोग दहशतजदा रहते हैं।  हो कुछ भी! यदि प्रदेश सरकार ने इस ओर गम्भीरता से ध्यान न दिया तो वह दिन दूर नहीं जब पूरे जनपद पर सूदखोरों का साम्राज्य होगा।
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