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नेताजी के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता– ज्ञानेश पाल धनगर

संवाददाता सत्यपाल सिंह
सीतापुर। सोमवार को हमराह एक्स कैडेट एन सी.सी. सेवा संस्थान के तत्वधान में विकास खंड सिधौली के मनिपुर अलाईपुर में स्थित श्री रामगोपाल जुनियर हाईस्कूल के प्रांगण में पराक्रम दिवस के अवसर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई संस्थान के सदस्यों पदाधिकारियों ने नेताजी के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके जीवन पर प्रकाश डाला संस्थान के सचिव ज्ञानेश पाल धनगर ने बताया कि आजादी की बात हो और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जिक्र ना हो, ऐसा कभी नहीं हो सकता है हम सब भारतीय नेताजी के बलिदान को कभी नहीं भुला सकते
है सुभाष चंद्र बोस केवल एक इंसान का नाम नहीं है बल्कि ये नाम है उस वीर का है, जिनकी रगों में केवल देशभक्ति का खून बहता था। बोस भारत मां के उन वीर सपूतों में से एक हैं, जिनका कर्ज आजाद भारतवासी कभी नहीं चुका सकते हैं।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हुआ था।
उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था।
और कहा कि नेता जी क्रांति से ही आजादी दिलाने के पक्षधर इसलिए उन्होंने इसमें विदेशों में रह कर अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया और नौजवानों को एकत्रित कर सन 1943 में आजाद हिन्द फौज का गठन किया।
नेता जी महात्मा गांधी की अहिंसा वादी नीति से सहमत नहीं थे। इसीलिए उन्होंने नौजवानों में “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा” का नारा बुलंद किया और युद्ध लड़कर अंग्रेजों को परास्त करने में अपनी भूमिका निभाई।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के आदरणीय नेता , नेताजी थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया। उनके द्वारा दिया गया , “जय हिंद” का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया। नेताजी की 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हॉल के सामने सुप्रीमो कमांडर के रूप में सेना को संबोधित करते हुए दिल्ली चलो का नारा दिया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस सर्वकालिक नेता थे, वह ऐसे वीर सैनिक थे, इतिहास जिन की गाथा गाता रहेगा उनके विचार, कर्म और आदर्श अपनाकर राष्ट्र वह सब कुछ कर सकता है, जिसका वह हकदार है। नेता जी का कथन था – ” मुझे यह नहीं मालूम कि स्वतंत्रता के इस युद्ध में, हम में से कौन – कौन जीवित बचेंगे, परंतु मैं यह जानता हूं कि अंत में विजई हमारी ही होगी। यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मूल्य खून से चुकाएं ।
और नेताजी सुभाष चंद्र बोस सुंदरता समर के अमर सेनानी, मां भारती के सच्चे सपूत थे। नेताजी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के उन्हें योद्धाओं में से एक थे, जिनका नाम और जीवन आज भी करोड़ों देशवासियों को मातृभूमि के लिए समर्पित होकर कार्य करने की प्रेरणा देता है। उनमें नेतृत्व के चमत्कारिक गुण थे। जिनके बल पर उन्होंने आजाद हिंद फौज की कमान संभाल कर अंग्रेजों को भारत से निकाल बाहर करने के लिए एक मजबूत सशस्त्र प्रतिरोध खड़ा करने में सफलता हासिल की। वही विद्यालय के चेयरमैन आचार्य यतींद्रनाथ धनगर ने कहा कि नेताजी के द्वारा कहे गए कथन – ” एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके।” उन्होंने यह भी कहा – ” मेरे पास एक लक्ष है, जिसे मुझे हर हाल में पूरा करना है। मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है । मुझे नैतिक विचारों की धारा में ही बहना है। इस दौरान
राजपाल,प्रबंधक श्री मधुराम धनगर (पाल )रामपाल जी प्रधानाचार्य सुश्री शैल कुमारी जी, मनीषा गौर जी एस. सल. गिरी जी, सुधा जी संस्थान के संगठन मंत्री हर्षवर्धन पाल जी सुलोचना जी। हर्षिता जी समस्त अध्यापक व छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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