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02 अक्टूबर 2021 को गांधी एवं शास्त्री जयन्ती समारोह पूरे जनपद में परम्परागत ढंग से मनाया गया

सीतापुर । (सू0वि0) 02 अक्टूबर 2021 को गांधी एवं शास्त्री जयन्ती समारोह पूरे जनपद में परम्परागत ढंग से मनाया गया। गांधी जी के जीवन-मूल्यों व आदर्शों पर आधारित धर्म, जाति रंग आदि भेदभावों को मिटाकर निर्बल वर्ग के कल्याण संबंधी अन्त्योदय की उनकी अवधारणा, भावनात्मक एकता तथा प्रगति के मार्ग पर अबाध गति से अग्रसर होने का सभी ने संकल्प लिया। 

कलेक्ट्रेट सीतापुर में आयोजित समारोह में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने गांधी जी व लाल बहादुर शास्त्री जी के चित्रों का अनावरण एवं माल्यार्पण किया। इसके उपरान्त अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राम भरत तिवारी, अपर जिलाधिकारी न्यायिक हरिशंकर लाल शुक्ला, अतिरिक्त मजिस्ट्रेट शिशिर कुमार आदि अधिकारियों व कर्मचारियों ने गांधी जी व लाल बहादुर जी के चित्रों पर माल्यार्पण व पुष्पार्चन किया। श्री विपिन चन्द्र वर्मा ‘‘श्याम जी‘‘, सेवानिवृत्त अपर जिला बचत अधिकारी एवं उनकी टीम तथा बच्चों के द्वारा कलेक्ट्रेट में रामधुन भजनों एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मनमोहक प्रस्तुतीकरण भी किया गया।

इस अवसर पर जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री शिव नारायण लाल शर्मा जी को सम्मानिक करके धन्यवाद देते हुये गांधी जी के दर्शन पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी के संघर्षों एवं योगदान को याद करते हुये सराहना भी की। गांधी दर्शन की वर्तमान में उपादेयता एवं प्रासंगिकता के विषय में बताया। बापू का अन्त्योदय, जो अन्तिम व्यक्ति के कल्याण की बात करता है एवं सर्वोदय, जो सभी के कल्याण की कामना करता है। वर्तमान के भारत का यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक लक्ष्य होना चाहिये, महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि वर्तमान समय भी हिंसा किसी न किसी रूप में आज भी समाज में व्याप्त है, जब तक यह किसी न किसी रूप में प्रकट होती रहेगी, गांधी जी की अंहिसा का विचार न केवल भारत बल्कि विश्व के लिये प्रासंगिक बना रहेगा। इस दौरान जिलाधिकारी ने आत्मनिर्भरता के गांधीवादी दर्शन को स्पष्ट करते हुये कहा कि वर्तमान समय में यह आवश्यक है कि हमारें गांव स्वावलम्बी बनें। लघु एवं कुटीर उद्योग, बुनाई, कताई, शिक्षा के साथ ही विकास के आधुनिक पैमानों को अपनाते हुये स्मार्ट गांव की ओर बढ़ें। 

इसी दौरान जिलाधिकारी ने गांधी एवं सुभाष पर संक्षिप्त चर्चा करते हुये यह कहा कि इन दोनों महान व्यक्तियों के मध्य भले ही वैचारिक मतभेद रहे हों लेकिन दोनों का परमलक्ष्य भारत को औपनिवेशिक शासन से मुक्ति दिलाना था और इन अर्थों में यह दोनों एक दूसरें के विचारों एवं मूल्यों का बहुत सम्मान करते थे। जहां सुभाष ने गांधी को राष्ट्रपिता कहा वहीं गांधी जी ने सुभाष को देशभक्तों का देशभक्त कहते हुये एक दूसरे के प्रति असीम सम्मान प्रस्तुत किया, जो आज की पीढ़ी के लिये अनुकरणीय है। गांधी जी ने उस दौरान विश्व में किसी भी तरह के व्याप्त औपनिवेशिक शासन की जमकर आलोचना की चाहें वह अफ्रीका हो या एशिया के अन्य देश।

देश के द्वितीय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का स्मरण करते हुये जिलाधिकारी ने उनके सादगी, नैतिकता एवं सुचितापूर्ण जीवन को याद करते हुये कहा कि आजादी से पूर्व जहां शास्त्री जी ने गांधीवादी तरीके से स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, वहीं आजादी के बाद अपने प्रधानमंत्रित्व काल के दौरान तात्कालिक विषम परिस्थितियों में अदम्य साहस और अपने कुशल नेतृत्व का परिचय दिया। उनके ‘‘जय जवान, जय किसान‘‘ के नारे ने युद्ध लड़ रहे जवानों (1965 का युद्ध) एवं अकाल की स्थिति में किसानों को देश हित हेतु अदम्य साहस एवं संघर्ष हेतु प्रेरित किया। 

अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राम भरत तिवारी ने सभी को शुभकामनाएं एवं धन्यवाद देते हुये सभी को प्रेरित किया कि गांधी जी एवं शास्त्री जी के आदर्शों को जीवन में आत्मसाथ कर पूर्ण मनोयोग से अपने दायित्वों का निर्वहन करें। 

कार्यक्रम के दौरान अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व रामभरत तिवारी, अपर जिलाधिकारी न्यायिक हरिशंकर लाल शुक्ला, अतिरिक्त मजिस्ट्रेट शिशिर कुमार सहित संबंधित अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे। 

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