कंप्यूटर और स्मार्ट फोन से निरक्षर प्रौढ़ों को शिक्षित करने की अनोखी मुहिम ।
शिवनाडर फाउंडेशन ने कसमंडा ब्लॉक के कई गांवों में शुरू किया अभियान ।
सीतापुर, 21 सितंबर। कोरोना संक्रमण के दौर में किशोर और युवाओं ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी। लेकिन कंप्यूटर, लैपटॉप और स्मार्ट फोन से दूर प्रौढ़ों को अपनी शिक्षा को जारी रखना एक बड़ी चुनौती थी। कसमंडा ब्लॉक में शिव नाडर फाउंडेशन द्वारा 30 ग्राम पंचायतों के 192 गांवों में संचालित 240 प्रौढ़ शिक्षा (शिक्षा प्लस) केंद्रों का संचालन किया जा रहा था। गांव के ही शिक्षित युवक-युवतियों को प्रशिक्षण देकर उन्हें जन शिक्षक और प्रशिक्षक बनाया गया।यह जनशिक्षक 10-12 लोगों के बैच को प्रतिदिन दो घंटे शिक्षित करते थे। लेकिन कोरोना वायरस ने इन पर भी ग्रहण लगा दिया। अल्प साक्षर यह प्रौढ़ जब शिक्षा की मुख्यधारा से अलग हुए तो वह अपनी पढ़ाई-लिखाई भूलने लगे। कोरोना संक्रमण के बीच इन प्रौढ़ों को शिक्षित करना आसान न था, लेकिन इस मुश्किल समस्या का समाधान भी शिव नाडर फाउंडेशन ने खोज निकाला, जिसके बाद यह प्रौढ़ कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन करते हुए अपने घरों से ही अपनी पढ़ाई-लिखाई फिर से शुरू कर दी।
कोरोना काल में प्रौढ़ों को शिक्षा से जोड़ने के लिए शिव नाडर फाउंडेशन ने शिक्षा की गूंज कार्यक्रम के तहत एक अनूठा प्रयोग किया। कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन करते हुए एक कार्ययोजना बनाई गई और फिर पॉयलट प्रोजेक्ट के तौर पर गांवों का चयन किया गया। वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति और ग्राम प्रधान की सहमति के बाद कार्यक्रम को अमलीजामा पहनाया गया। इसके बाद गांव में लाउडस्पीकर के माध्यम से प्रौढ़ों को शिक्षित करने का काम शुरू किया गया।
यह जानकारी भी दी जाती
प्रौढ़ों को बुनियादी शिक्षा के साथ ही कोरोना जागरूकता संबंधी जानकारी, आपातकालीन और चिकित्सा सुविधा के नंबर जैसे 112, 108, 102, बैंक में पैसाें की जमा-निकासी आदि के साथ ही सरकारी योजनाओं सुकन्या समृद्धि योजना, कन्या सुमंगल योजना मनरेगा, किसान सम्मान योजना, एमडीएम आदि की भी जानकारी दी जाती है।
इन गांवों का हुआ चयन —
प्रोजेक्ट हेड मयंक सिन्हा बताते हैं कि पहले चरण में हमने कसमंडा ब्लॉक के हर्रइया, ऊंचाखेरा अजई, कुरसंडा और मानपरा इन 5 गांवों में कार्यक्रम को शुरू किया। इसके सकारात्मक परिणाम आने पर इसे 6 अन्य गांवों बसेडीह,टेडवा, उमरिया, मनिकापुर, असोधन और बिलरिया में शुरू किया गया। अगले चरण में जल्द ही अन्य गांवों में भी यह कार्यक्रम शुरू होने वाला है। वह बताते हैं कि इन 10 गांवों के 450 घरों तक लाउडस्पीकर के माध्यम से शैक्षिक और व्यवहारिक जानकारी पहुंचाई जा रही है।
प्रौढ़ों की कहानी, उन्हीं की जुबानी
हर्रइया गांव की श्यामा कहती हैं कि पहले हम बाजार जाते थे तो हिसाब-किताब नहीं कर पाते थे, लेकिन अब कोई भी मुझसे ज्यादा पैसे नहीं ले सकता। अब हम खुद बाजार जाकर खरीदारी कर लेते हैं। इसी गांव की रामरानी कहती हैं कि लाउडस्पीकर से पढ़ना अच्छा लगता है। शिक्षा प्लस केंद्र पर हमने काफी सीखा लिया था। बस का किराया देना हो या फिर बच्चों के स्कूल की फीस अब हर चीज का हिसाब मैं रख सकती हूं। असोधन गांव की मीना देवी और नंदरानी कहती हैं कि अक्षर ज्ञान के साथ ही सरकारी योजनाओं की जानकारी होने से अब हम उनका लाभ उठा सकेंगे।
पढ़ाई शुरू होने से पहले बजती अलर्ट ट्यू
लाउडस्पीकर पर संगीत के रूप में कार्यक्रम की एक प्रति ध्वनि बजाई जाती है। इस म्यूजिक ट्यून को मुंबई के म्यूजिक कंपोजर वेदांत शाह ने तैयार की है। इसके बजते ही समूचे गांव के शिक्षा का माहौल बन जाता है। लोग अपने घरों में कॉपी किताब ले कर बैठ जाते हैं।
क्या कहती है कार्यक्रम की क्वार्डीनेटर
संस्था की सीनियर प्रोजेक्ट क्वार्डीनेटर प्रीती एम. शाह कहती है कि प्रौढ़ों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के साथ ही पूरे गांव को कोविड-19 के प्रोटोकाल की भी जानकारी दी जा रही है। जिन गांव में यह कार्यक्रम चल रहा है, वहां पहले लोग मास्क का प्रयोग कम ही करते थे, लेकिन अब सभी लोग मास्क अथवा गमछा, रूमाल से अपने मुंह व नाक को ढक कर ही बाहर निकलते हैं और उचित दूरी से एक-दूसरे से बात करते हैं।