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सांस्कृति नैमिषेय का शंखनाद

सीतापुर| नैमिषारण्य सीतापुर में नैमिषेय शंखनाद भारतीय कला दर्शन पर आधारित दो दिवसीय संगोष्ठी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारम्भ आज उ0प्र0 के राज्यपाल श्री रामनाईक ने किया। उन्होंने कहा कि नैमिष के विकास के लिये प्रदेश की सरकार ने एक सराहनीय कार्य किया है कि अन्य तीर्थ स्थानों की तरह नैमिष का भी विकास किया जायेगा। उसके लिये भारतीय संस्कृति की अच्छी पहल है। भारत कैसा है, कैसा होना चाहिये सारी दुनिया में पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि आज इस पवित्र धरती पर नैमिषेय शंखनाद के अवसर पर मुझे वेबसाइट का उद्घाटन करने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत में प्राचीन काल से योगा का महत्व है। योग हमारे शरीर को स्वस्थ्य रखता है, भारतीय संस्कृति को बनाये रखने हेतु अन्य शास्त्रों के अलावा योग विद्या को भी अपनाना चाहिये। आज की पीढ़ी पाश्चर्य युग की तरफ झुक रही है, जिसको की भारत के प्रधानमंत्री व योगी द्वारा शंखनाद के जरिये रोकने एवं भारतीय संस्कृति व सभ्यता को बनाये रखने की भरपूर कोशिश की गयी है। नैमिष को पुर्नवैभव प्राप्त हो रहा है। जिससे हमें भारतीय ज्ञान दर्शन, कला व संस्कृति का सर्वधन भी निश्चित सम्भव हो पायेगा। उन्होंने कहा कि पूंजीवाद का असर बहुत नुकसान दे रहा है। साहित्य अपनी कला, संस्कृति को कैसे संरक्षित करे, यह गम्भीर एवं अति महत्वपूर्ण विषय है। जो हमारा दर्शन है, इसको आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। हिन्दी भाषा, जो कि विश्व स्तर पर है, हमें इसको स्थापित करने का कार्य करना चाहिये। इसके साथ-साथ उन्होंने जोर देते हुये कहा कि चर्चा चाहें जितनी कलाओं की जाये, चाहे वो हस्तकरघा हो या शिल्पी हो, लेकिन प्रधानता भारतीय संस्कृति की होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि योग भी एक कला है, जिसको बाबा रामदेव ने अपने देश में नही, वरन अन्य देशों में भी घर-घर में फैलाया है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक महोत्सव अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये आयोजित किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा 90 करोड़ रूपये नैमिषारण्य और मिश्रिख को पर्यटन स्थल विकसित करने में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यटन आगे बढ़ेगा तो रोजगार बढ़ेगा, रोजगार आगे बढ़ेगा तो सम्पन्नता बढ़ेगी, सम्पन्नता आगे बढ़ेगी तो विकास निश्चित है। जब विवाद पर नयी व्यवस्थाएं पैदा होती है तो ऐसे कार्यक्रम दिखायी देते हैं। कला ने अपनी संस्कृति को समेटे हुये निभाया है। कला एक समृद्धि है, समृद्धि एक कला का अर्थ ही विकृत हो रहा हे। संस्कृति नैमिषेय एवं बौद्धिक संगति आज नैमिषारण्य में स्थापित हो गयी है। जो विधाये प्राप्त की गयी हैं, उसकी निरन्तरता बनी रहनी चाहिये। बौद्धिक पक्ष एवं सांस्कृतिक पक्ष रखा जाये। भारत की कला भारत में ही नहीं विदेशों में भी रहे। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की पर्यटन मंत्री श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी ने भी अपने उद्बोधन व्यक्त करते हुये कहा कि प्रारम्भ में ही संस्कृति नैमिषेय संबंधी कार्यक्रम ऋषि मुनियों की पवित्र भूमि पर रखा गया है। संस्कार भारतीय के सभी सदस्यगण आप सबका उ0प्र0 सरकार की तरफ से मार्गदर्शन लेने आये है। उन्होंने कहा कि आप लोग सरकार से जो भी आशा रखते हैं, उसको जरूर पूरा किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जहां माॅ शक्ति की स्थली हो, जहां हनुमान जी का जन्म हुआ हो, ऋषियों की स्थली हो। यह संस्कृति एक सम्मान के साहित्य का उद्भाव है। भारत एक अभूतपूर्व साहित्य है, चाहें धार्मिक साहित्य हो या कोई भी साहित्य हो। साहित्य को संरक्षित करना व साहित्य को उन विचारों में ले जाना 21वीं सदी के लोगों के लिये सम्मानीय व सराहनीय है।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव सूचना, महानिदेशक पर्यटन श्री अवनीश अवस्थी, विधायक महोली श्री शशांक त्रिवेदी, विधायक बिसवां श्री राकेश यादव, विधायक मिश्रिख श्री रामकृष्ण भार्गव, जिलाधिकारी डा0 सारिका मोहन, मुख्य विकास अधिकारी डा0 अरविन्द कुमार चैरसिया, पुलिस अधीक्षक श्री आनन्द कुलकर्णी, अपर जिलाधिकारी श्री विनय पाठक, उपजिलाधिकारी मिश्रिख शेरी सहित संबंधित उपजिलाधिकारी व प्रसिद्ध कलाविद् व सांस्कृतिक विदुषी पद्मविभूषण डा0 सोनल मानसिंह, चित्रकार वासुदेव कामथ, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक डा0 वामन केन्द्रे, संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष शेखर सेन, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के निदेशक डा0 सच्चिदानन्द जोशी, मध्य प्रदेश के कलाविद् डा0 कपिल तिवारी, ध्रुपद गायक उस्ताद वसिफुद्दीन डागर, भजन गायक अनूप जलोटा लोकगायिका मालिनी अवस्थी आदि लोग उपस्थित रहे।

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