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सचिन पायलट गुट कांग्रेस में वापस आएगा तो अशोक गहलोत के समर्थक विधायक बिखर जाएंगे।

जैसलमेर में हुई विधायक दल की बैठक में शांति धारीवाल ने स्पष्ट कहा। खुद अशोक गहलोत भी राहुल गांधी- सचिन पायलट की संभावित मुलाकात से खुश नहीं हैं। भाजपा की अब गहलोत समर्थक विधायकों पर नजर। अशोक गहलोत ही रहेंगे मुख्यमंत्री-डोटासरा।

संवाददाता अखिलेश दुबे

लखनऊ | 10 अगस्त को सुबह से ही दिल्ली से खबर उड़ी की कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी और राजस्थान के बागी कांग्रेसी सचिन पायलट के बीच मुलाकात हो रही है। इस खबर से राजस्थान की राजनीति में हलचल मच गई है। जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 9 अगस्त को ही जैसलमेर पहुंचे थे वे अपने समर्थक विधायकों को छोड़कर चार्टर प्लेन से 10 अगस्त को प्रात: साढ़े ग्यारह बजे जयुपर लौट आए। गहलोत के साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और वरिष्ठ मंत्री शांति धारीवाल भी साथ रहे। राहुल और सचिन की मुलाकात कब होती है। और इस मुलाकात के बाद क्या निर्णय होता है, यह अभी पता नहीं चलेगा, लेकिन राहुल-सचिन की मुलाकात की जानकारी सीएम गहोत को पहले ही लग गई थी, इसलिए 9 अगस्त को जैसलमेर में हुई गहलोत समर्थक विधायकों की बैठक में गहलोत के भरोसे वाले वरिष्ठ मंत्री शांतिधारीवाल ने दो टूक शब्दों में कहा कि अब पायलट गुट की कांग्रेस में वापसी नहीं होनी चाहिए। धारीवाल के इस कथन का सीएम गहलोत की उपस्थिति में सभी विधायकों ने समर्थन किया। सर्व सम्पत्ति हो जाने के बाद सीएम गहलोत अपनी निष्पक्षता और कांग्रेस हाईकमान के प्रति वफादारी दिखाते हुए कहा कि इस संबंध में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जो फैसला करेगी, वह मुझे मंजूर होगा। बैठक में गहलोत ने भले ही अपनी वफादारी आला कमान के प्रति प्रकट की हो, लेकिन गांधी परिवार को भी संकेत दे दिए कि उनके समर्थक विधायक क्या चाहते हैं? गहलोत भले ही अभी भी कांग्रेस आला कमान के प्रति वफादारी दिखाएं, लेकिन ऐन मौके पर राहुल-सचिन की मुलाकात की खबरों से गहलोत बेहद क्षुब्ध है। सचिन पायलट सहित 19 कांग्रेसी विधायकों की बगावत के बाद भी गहलोत ने अपने समर्थन में 100 विधायकों को खड़ा रखा है। पिछले 10 जुलाई से इन विधायकों को जयपुर और जैसलमेर की होटलों में रखा गया है। एक भी विधायक को इधर उधर भागने नहीं दिया। कांग्रेस के 19 विधायकों के चले जाने के बाद भी 88 विधायकों को अपने साथ रखा और 10 निर्दलीय तथा चार अन्य विधायकों को समर्थन प्राप्त कर बहुमत को अपनी मुठी में रखा। इस बीच केन्द्र सरकार के अधीन काम करने वाली एजेंसियों ने गहलोत के बड़े भाई अशोक गहलोत और बेटे वैभव गहलोत के बिजनेस पाटर्नर रतनकांत शर्मा के ठिकानों पर छापामारी भी की। गहलोत परिवार की ईमानदारी पर भी अंगुली उठाई गई। लेकिन गहलोत ने कांग्रेस की सरकार को बचाए रखने के लिए विधायकों की एकजुट रखा। विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का भी मानना रहा कि यह अशोक गहलोत का ही दम था। जो पायलट की बगावत को फेल कर दिया। यानि गहलोत ने वो सब किया जिससे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी रहे। अब अब 14 अगस्त को विधानसभा में बहुमत साबित करने का समय आ रहा है। तब मात्र तीन दिन पहले राहुल गांधी और सचिन पायलट के बीच मुलाकात की खबरें आ रही हैं। यदि पायलट को कांग्रेस में ही बनाए रखना था कि वो फिर राजस्थान में 100 विधायकों को पिछले एक माह से होटलों में क्यों रखा जा रहा है? राहुल गांधी भी जानते हैं। कि पायलट की बगावत के बाद प्रदेश में क्या क्या घटा है। यह तो गहलोत में ही दम था जो पायलट की बगावत को सहन कर लिया। यदि 10 जुलाई को सुबह कोरोना संक्रमण की आड़ लेकर प्रदेश की सीमाएं सील नहीं की जाती तो दिल्ली में पायलट के साथ 18 नहीं, बल्कि 30 विधायक होते औंर अब तक राजस्थान में कांग्रेस सरकार गिर जाती। चौतरफा आलोचनाओं के बाद भी गहलोत ने 100 विधायकों को होटलों में टिकाए रखा है। सूत्रों की माने तो पूर्व में गांधी परिवार की वरिष्ठ सदस्य प्रियंका गांधी ने भी पायलट से संवाद का प्रयास किया था, लेकिन तब गहलोत के कड़े ऐतराज को देखते हुए प्रियंका ने पायलट से मुलाकात नहीं की। अब देखना है। कि राहुल सचिन की प्रस्तावित मुलाकात से क्या निकलता है। और गहलोत ने राहुल गांधी को भी आश्वस्त कर दिया है। कि पायलट की बगावत का सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। साथ ही यह भी बताया गया है। कि पायलट के वापस आने से विधायकों को एककजुट रखना मुश्किल होगा।
अब गहलोत समर्थकों पर नजर: यदि सचिन पायलट की कांग्रेस में वापसी होती है। तो गहलोत समर्थक विधायकों में बिखराव हो सकता है। अभी जो 100 विधायक गहलोत की मुठी में है। वे पायलट के आने के बाद मुठी से बाहर आ सकते हैं। वैसे भी गद्दार, मक्कार, धोखेबाज प्रवृत्ति वाले सचिन पायलट विधायकों को गहलोत अपनी मुठी में क्यों रखेंगे? जब गहलोत मुठी खोलेंगे तब बिखरे हुए विधायकों पर भाजपा की नजर होगी। भाजपा तो कांग्रेस की फूट का फायदा उठाने में लगी रहेगी। पायलट की बगावत को भी हवा देने में भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। अब यदि राहुल की पहल पर पायलट वापस कांग्रेस में चले जाते है तो भाजपा फिर मौके की तलाश में रहेगी। गहलोत ही मुख्यमंत्री रहेंगे। 14 अगस्त को शुरू होने वाली विधानसभा सत्र को लेकर 10 अगस्त को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद डोटासरा ने बताया कि सदन शांतिपूर्ण और सूचारू तरीके से चले इसके लिए हमने मुलाकात की है। डोटासरा ने कहा कि कोई कुछ भी दावा करे, लेकिन अशोक गहलोत ही पूरे पांच वर्ष राजस्थान के मुख्यमंत्री रहेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में किसी भी विधायक को जाने के लिए नहीं कहा, इसलिए अब आने के लिए कोई रोक भी नहीं है। लेकिन मुख्यमंत्री को लेकर किसी भी बागी विधायक की कोई शर्त नहीं मानी जाएगी। विधायकों का विश्वास गहलोत के नेतृत्व में ही है।

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