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कोरोना से डरें नहीं बल्कि संयम बरतें : सीएमओ

अस्पताल में वही भर्ती हों जिनको वास्तव में हो जरूरत
रायबरेली। कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है | ऐसे में लोगों को डरने के बजाय संयम बरतना चाहिए | कोरोना के हर मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती है | धरीज रखें और रैपिड रेस्पांस टीम (आरआरटी) के डाक्टर की सलाह पर अमल करें | यदि उपचाराधीन मरीज का ऑक्सीजन स्तर 94 से कम है या डाक्टर ने उसे अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी है तभी उसे भर्ती होने की जरूरत है | यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.वीरेंद्र सिंह ने दी |
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया- ऐसे मरीज जिनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं है और उनकी आरटीपीसीआर की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है या जिनमें हल्के लक्षण हैं, उन्हें न तो बुखार है, न सांस की समस्या है और ऑक्सीजन स्तर भी 95 या उससे ज्यादा है तो ऐसे मरीजों को अस्पताल न जाकर होम आइसोलेशन में ही इलाज करवाना है | इसके साथ ही ऐसे मरीज जिन्हें गले में खराश, 100 डिग्री बुखार, हलकी खांसी, 94 से अधिक ऑक्सीजन स्तर तथा श्वसन दर 18-24 प्रति मिनट है तो वह भी होम आइसोलेशन में रहेंगे |
उन्होंने बताया- डायबिटीज, कैंसर, ह्रदय रोग, किडनी रोग और फेफड़ों से सम्बंधित रोगों से ग्रसित मरीजों को अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है | ऐसे मरीजों को होम आइसोलेन की अनुमति नहीं दी जाती है |
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी डी.एस.अस्थाना ने बताया- ऐसे मरीज जिन्हें 100 डिग्री से ज्यादा बुखार, साँस लेने में दिक्कत, नाक में समस्या, ऑक्सीजन स्तर 90 से 94 के बीच, सीने में दिक्कत, श्वसन दर 24 से 30 प्रति मिनट है तो उनका घर में इलाज नहीं कराना है बल्कि एल-2 में भर्ती कराना है |
ऐसे मरीज जिन्हें, 102 डिग्री से ज्यादा बुखार, बहुत ज्यादा खांसी आ रही है , सांस लेने में बहुत ही ज्यादा दिक्कत है और सांस लेने की दर 30 प्रति मिनट से ज्यादा है और क्लीनिकल जाँच में वेंटिलेटर की आवश्यकता है | ऐसे मरीजों को साथ ही कम प्रतिरोधक क्षमता वाले माध्यम लक्षण वाले मरीजों को एल-थ्री अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी है |

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