पंकज सक्सेना
सीतापुर | कोरोना के खतरे के बीच रिपोर्टिंग कर कोने कोने की खबर देशवासियो तक पहुँचा रहे पत्रकारों को कोरोना वारियर्स की लिस्ट में शामिल न करना दुखद एवं पत्रकारों का मनोबल तोड़ने वाला कदम है। सरकार द्वारा कोरोना वायरस के लिए 50 लाख का सुरक्षा बीमा किये जाने का फैसला स्वागत योग्य है परंतु वारियर्स की लिस्ट में पत्रकारों का ज़िक्र न होना अत्यंत दुखद है। कोरोना वायरस के खतरे के बीच जिस तरह से डॉक्टर, पुलिस, सफाई कर्मी जिस तरह से अपनी जान जोखिम में डाल कर अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे है वो सराहनीय है उन्हें सम्मान और सुरक्षा उपकरण के साथ ही सुरक्षा बीमा मिलना ही चाहिए। लेकिन यहां अफसोस कि बात ये है कि संसाधन विहीन होकर भी कोरोना वायरस के खतरे के बीच पत्रकारिता के दायित्वों का पूरी ईमानदारी के साथ निर्वाहन करने वाले पत्रकारों को कोरोना वारियर्स की लिस्ट में नही जोड़ा गया। लखनऊ की ही अगर बात करे तो शनिवार को एक प्राइवेट कंपनी द्वारा लखनऊ पुलिस कर्मियों के लिए 10 हज़ार मास्क दिए गए एक प्राइवेट बैंक ने लखनऊ पुलिस के लिए 4 क्विंटल सेनेटाइजर उपलब्ध कराया। पुलिस , डाक्टर, सफाई कर्मी कोरोना से लड़ने वाले ऐसे योद्धा है जिन्हें सरकार से पहले ही वेतन मिल रहा है अब इस वैश्विक महामारी के दौरान अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा कर उनके मनोबल को बढ़ाना अत्यंत सराहनीय है। परन्तु पत्रकार के परिवार की न तो अभी तक सरकार ने कोई सुध ली और न ही किसी प्राइवेट संस्था ने भले ही 50 लाख का बीमा न किया जाए | लेकिन दिन रात मेहनत कर रहे मान्यता प्राप्त एवं गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को कोरोना वारियर्स की लिस्ट में शामिल कर उन्हें कुछ सुविधाए तो सरकार द्वारा उपलब्ध ही कराई जा सकती है।