लखीमपुर खीरी। किसान को वोटर नही अन्नदाता मानने वाले नरेंद्र मोदी और मोदी के नये कृषि कानून से नुकशान है परन्तु नुकशान क्या है? यह भी तो देश का कोई भी नेता अपना एक घोषणा पत्र देकर स्पष्ट तौर पर समझाये की किसानों को यह नुकशान हो रहा है। मोदी सरकार यह बिल लाई है, इस लिये उसका विरोध न देश हित में है न किसान हित में है और न ही देश के किसी भी राजनीतिक दल के हित में है। यह कथन एक भेंटवार्ता में पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता दीप शंकर मिश्र ने व्यक्त किये। दीप मिश्रा ने बताया कि गलती उन जिम्मेदार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की होती है जो अपनी भलाई के आगे अपनी फसल कम रेट पर बेंच रहे गरीब किसानों की तरफ मुड़कर देखना नही चाहते।
दीप मिश्रा ने यह भी बताया की सभी जिलों में महेंद्र बहादुर सिंह डीएम मैनपुरी व पुलकित खरे डीएम पीलीभीत जैसे नही नही, जिनके डर भय मात्र से नये कृषि कानून का किसान को उनकी फसल का फायदा मिल जाता है।
एक प्रश्न के उत्तर में दीप मिश्रा ने बताया की यदि विधायक व सांसद अपने पर आ जाये तो किसी भी किसान की फसल का सही रेट मिल जाएगा और मोदी सरकार के इस किसान बिल का विरोध करने वाले लोगो का नशा भी उतर जायेगा। बस मोदी सरकार के किसान बिल का प्रचार प्रसार सभाओं में नही बल्कि सरकारी खरीद केंद्रों पर होना चाहिये और इसके लिये प्रत्येक तहसील व जिला स्तर के अधिकारियों के लिये दिन सुनिश्चित हो कि सप्ताह में इस दिन कौन अधिकारी कौन सा कार्य देखेगा। किसी पार्टी या कार्यकर्ताओ द्वारा भी किसी भी सरकारी योजना का जमीनी प्रचार-प्रसार तब तक सम्भव नही होता जब तक जिले का अधिकारी या सम्बंधित विभाग का अधिकारी योजना का लाभ जन-जन तक पहुंचाने के लिये हाथ न बंटाए। यह योजना मोदी सरकार की है मात्र इस लिये उसका विरोध करना किसान व समाज के हित में नही।