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बिना भय के ईमानदारी के साथ ड्यूटी निभा रहे एम्बुलेंस कर्मियों के जज्बे को सलाम

लखीमपुर। सामान्य बीमारी में हमने शायद ही कभी एम्बुलेंस कर्मियों की अहमियत पर ध्यान दिया होगा| उस समय डॉक्टर और नर्स ही भगवान लगते हैं लेकिन कोरोना वायरस ने हमें यह तो जरूर सिखा दिया कि एम्बुलेंस समय पर न पहुंचे तो डाक्टर भी कुछ नहीं कर सकते हैं | उनकी भी भूमिका उतनी ही अहम होती है जितनी अन्य स्वास्थ्य कर्मी की| जब कई बार अपनों तक ने साथ छोड़ा तब इन्हीं इमरजेंसी मेडिकल टेक्निशयन (ई एम टी) और एम्बुलेंस पायलट ने कोरोना उपचाराधीनों को अस्पताल तक पहुंचाया और अस्पताल पहुँचने तक उनकी देख-रेख भी की |
ऐसे समय में जब लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं उस दौर में भी जिले में एम्बुलेंस कर्मी चौबीस घंटे की ड्यूटी निभा रहे हैं हालांकि दिन-रात की ड्यूटी के दौरान यह लोग कोविड-19 की चपेट में भी आए हैं , लेकिन उनके जज्बे में कोई कमी नहीं आई है । यह एम्बुलेंस कर्मी अपनी परवाह न करते हुए दिन-रात मरीजों की सेवा कर रहे हैं | मरीजों को घर से स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाना हो या फिर अस्पताल से वापस घर पहुंचाना हो | यह कोरोना योद्धा बिना किसी भय के अपनी ड्यूटी को ईमानदारी से पूरा कर रहे हैं ।
ईएमटी टीकाराम पाल बताते हैं – हमें इस समय 12-12 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ रही है ,कई-कई घंटे तक पीपीई किट पहननी पड़ती है | इस गर्मी में यह बहुत ही कष्टकारी होता है लेकिन जरा सी चूक हमारे लिए जानलेवा साबित हो सकती है | जिला मुख्यालय से घर दूर होने के कारण 15-20 दिन में घर जाना हो पाता है | यह भी शंका बनी रहती है कि परिवार में कोई संक्रमित न हो जाये लेकिन इस कठिन दौर में अपने काम से मुंह नहीं मोड़ सकते | हमारा यही लक्ष्य होता है कि मरीज ठीक होकर घर वापस पहुंचे |
पायलट सुनील कुमार बताते हैं – आज कोरोना के संक्रमण काल में सबसे बड़ी जद्दोजहद जान बचाने की है | हमारा एक ही लक्ष्य होता है समय से मरीज को अस्पताल पहुँचाना ताकि उसका इलाज हो सके और जान बच सके | इस गर्मी के मौसम में पीपीई किट पहनना आसान काम नहीं है | हम एक महीने से अपने घर नहीं गए हैं | कहीं मेरी वजह से घर वाले भी पाजिटिव न हो जाएँ इसलिए हम एक महीने से घर भी नहीं गए हैं | घर वाले भी कहते हैं कि स्थितियां सामान्य हो जाएँ तभी घर आइयेगा |
एम्बुलेंस सेवा के जिला प्रभारी प्रवीण द्विवेदी बताते हैं – हमारे एम्बुलेंसकर्मी 24 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं | उन्हें गंभीर मरीजों को कभी – कभी ऑक्सीजन भी लगानी पड़ती हैं | कोरोना उपचाराधीन से उनका सामना सबसे पहले होता है | वह अपनी जान की परवाह न करते हुए कोरोना उपचाराधीन मरीजों को समय से अस्पताल पहुँचाने का काम अनवरत कर रहे हैं | ऐसे कोरोना योद्धाओं को सलाम करता हूँ |
वर्तमान में जिले में 102 सेवा की 46 एम्बुलेंस, 108 सेवा की 44 एम्बुलेंस और 4 एएलएस हैं | कुल 185 ईएमटी और 178 पायलट हैं |

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