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बरोठा की शान शत्रोहन महाराज को आज भी करते हैं सभी याद

बरोठा गाँव को बहुत कुछ दे गए महाराज

लखीमपुर खीरी। 20 सितंबर 1951 में एक छोटे से गाँव मे जन्में एक शख्स ने अपनी ऐसी पहचान बनाई, जिसने यह साबित कर दिखाया कि इंसान अपने नाम से नही बल्कि अपने काम से महान माना जाता है।
जी हाँ हम बात कर रहे है बरोठा गाँव के निवासी स्व० शत्रोहन लाल शुक्ल की जिन्हें अपने गाँव ही नही बल्कि सम्पूर्ण निघासन क्षेत्र का गौरव माना जाता था और अपने नेक कार्यों की बदौलत वो किसी परिचय के मोहताज भी नही थे।
उनका मानना था कि काबिलियत इंसान के अंदर होनी चाहिए वह उस काबिलियत की वजह से अपने आप पूरे क्षेत्र व सम्पूर्ण जनपद में किसी परिचय का मोहताज नही होगा।
ये बात स्व० शत्रोहन लाल शुक्ला ने खुद साबित कर दिखाई।
बताते चलें कि एक छोटे से गांव बरोठा में जन्मे स्वर्गीय शत्रोहन लाल शुक्ला जिन्होंने अपनी जिंदगी का पूरा हिस्सा गांव को समर्पण करते हुए पंचतत्व में विलीन हुए।उन्होंने अपने गांव के लिए बहुत कुछ किया,जिसकी बदौलत खीरी जिले में अपना नाम भी रोशन किया।
स्व० शत्रोहन लाल शुक्ला गायत्री परिवार के प्रमुख स्तम्भ के रूप में लखीमपुर खीरी जनपद में प्रचलित रहे,साथ ही सामाजिक व राजनैतिक क्षेत्र में वह मुकाम हासिल किया जो गांव में किसी ने हासिल नहीं किया। आज भी उन्हें उनके नेक कार्यों की वजह से किसी भी पार्टी का नेता, विधायक, सांसद उनको नमन करना नही भूलता। सरल स्वभाव के धनी श्री शुक्ल का यूं इस तरह धरती से अलविदा कहना सभी को झकझोर गया। उनके अचानक इस तरह चले जाने से क्षेत्र के सभी लोगों की आंखे नम दिखी थी और यही नही आज भी उनके नेक कार्यों के चर्चे सुनने को मिलते है।
70 सालों की आयु तक स्व० श्री शुक्ल की अपनी साफ-सुथरी छवि जिसमे एक भी दाग नहीं लगा। उन्होंने कई वर्षों से पड़ी पुरानी जर्जर रोड़ को सुदंर रोड़ बनवाकर गांव वालों को भेंट की और साथ ही वो जिसके तरफ खड़े हो जाते थे वही गाँव का मुखिया हो जाता था।
उनके जाने के बाद गांव एकदम सूना हो गया। ऐसे इंसान को सभी गांव वासियों का शत-शत नमन जिन्होंने अपना पूरा समर्पण गांव को ही दे दिया।हम सभी क्षेत्रवासियों की तरफ से उनको शत शत नमन।🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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