कानपुर नगर | विकास की अंधाधुंध दौड में हम लगातार अपने पर्यावरण के साथ खिलवाड करते जा रहे है। आने वाले समय में हम सभी को इसके भयंकर परिणाम भुगतने होगे। शहर में क्रमबद्ध तरीके से कंकरीट के जंगल खडे हो रहे है जो आने वाले भविष्य में खतरे के संकेत दे रहे है। विकास की कतार में लागतार पेडों को बुरी तरह काटा जा रहा है। बिठूर के सिंहपुर से मैनावती मार्ग फोरलैन बनायी गयी यहां से सैकडो की तादात में पेंडो को काटा तो गया लेकिन दुबारा लगाया नही गया, इसी प्रकार पनकी रोड के चैडीकरण में पेड हटाये गये, पॅलीटेक्निक चैराहा से आईआईटी तक भी हरियाली नष्ट की गयी और यह क्रम लगतार जाती है। दूसरी तरफ अवैध निर्माणों के कारण सडकों के किनारे के पेड काटे जा रहे है न कोई देखने वाला और न ही कोई सुनने वाला वहीं ग्रीन बेल्ट की बाते सिर्फ दिखावा मात्र ही रह गयी। जहां- जहां ग्रीन बेल्ट थी वहां आज कब्जे हो गये। पूर्व में मण्डलायुक्त ने इसपर नाराजगी भी व्यक्त की थी और ग्रीन बेल्ट से कब्जों को हटाने के निर्देश दिये थे लेकिन लापरवाह अधिकारियों ने एक न सुनी।आज किदवई नगर, कल्याणुपर, इंद्र नगर, काकादेव, वीआईपी रोड, जाजमऊ, रामादेवी सहित शहर के हर हिस्सो में कंकरीट के जंगल खडे हो रहे हे। लोग अपने फायदे के लिए पेडों को लगातार काटते जा रहे है, जिससे गर्मी में तापमान बढता जा रहा है। भविष्य में इसका अंजाम क्या होगा इससे न तो जनता को लेना देना है और न ही अधिकारी ही इसके प्रति जागरूक दिखायी दे रहे है। खेतों को बेंचकर वहां प्लाटिंग की जा रही है। लोग अपनी जेबे भर रहे है। वहीं पार्को से भी हरियाली गायब हो रही है जिसका उदाहरण बृजेन्द्र स्वरूप पार्क है। वर्तमान में जनसंख्या के हिसाब से आवास की मांग बढती जा रही है बिल्डर हरियाली के नाम पर सिर्फ नक्शे में ही हरियाली दिखा रहे है और अधिकारी सो रहे है। बडी-बडी इमारतों में हरियाली का कोई स्थान नही है। यदि समय रहते इसका ध्यान नही दिया गया तो बडा खामयाजा उठाना पडेगा। धडल्ले से हो रहे धरती के सीने में छेद,, कानपुर नगर में रोजाना सैकडो की तादात में समर सिम्बल पंप लगाये जा रहे है। शहर के अंदर ही नही नये इलाको में भी और इस पर अधिकारियों का ध्यान नही है। यदि अवलोकन कराया जाये तो बीते पांच वर्षो में लाखों की संख्या में धरती के सीने में छेद किये गये है। कारण यह भी है कि नई-नई बस्तियां तो बसाई जा रही है लेकिन आम आदमी की मूल जरूरतों को पूरा नही किया जा रहा है। जहां आबादी होगी वहां पानी की आवश्यकता होगी और पानी के लिए कुछ तो करना होगा। शहर में लगातार बोरिंग की संख्या बढती जा रही है। जिन घरों में सरकारी नल था उन्होने ने भी बोरिंग करा ली है। किसी भी ऊंचे स्थान से देखा जाये तो घरो के ऊपर लगी पानी की टंकिया इसकी गवाह है। सरकारी महकमें द्वारा कोई भी ऐसी व्यवस्था नही की जा रही है कि अवैध रूप से कराई जा रही बोरिंग पर लगाम लगायी जा सके।