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लाइसेंस में नाम व पता गलत, ठीक कराने के लिए मांगे जाते है दो सौ रूपये

गलती करें बाबू, खामयाजा भुगते जनता
हरिओम
कानपुर नगर | शहर के सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले विभाग आरटीओं में कार्यप्रणाली व्यवस्था दुरूस्त नही है। यहां कार्यरत बाबुओ की गलती का खामयाजा आम जनता को भुगतना पड रहा है। नित्य नेय लाइसेंस बनवाने वालो को यहां खासी दिक्कतो का समना करना पडता है। कहने को तो यहां सब ठीक-ठाक है लेकिन ऐसा कुछ भी नही है। लर्निंग और परमानेंट लाइसेंस में किसी का नाम ठीक नही है तो किसी के पिता का नाम गलत लखा है, किसी का पता गलत चढा है। मुश्किल से लाइसेंस बनवाने वाले लोग फिर गलतियों को सुधरवाने के लिए कार्यालय के चक्कर काटते दिखायी पडते है।
आरटीओ विभाग में कहने को तो सबकुछ आॅन लाइन हो गया है लेकिन दलालों और बाबुओ की सेटिंग के कारण अब भी जनता को परेशानी उठानी पड रही है। साधारण रूप से लाइसेंस बनवाने में दिक्कत होती है वहीं आज भी दलाल के माध्यम से काम आसानी से हो जाता है। आॅन लाइन व्यवस्था के तहत जो लोग लाइसेंस का आवेदन आॅन लान करते है उनके लाइसेस में कहीं उनका नाम तो कहीं पिता का नाम तो कहीं पता गलत हो जाता है। एक ऐसे ही मामले में एक व्यक्ति का नाम गलत हो गया, जब उस व्यक्ति ने आरटीओ कार्यालय में शिकायत की तो उससे कहा गया कि आॅन लाइन फार्म ही गलत भरा गया होगा, लेकिन फार्म चेक करने पर सब कुछ सही भरा पाया गया, बावजूद उससे नाम ठीक कराने के लिए आरटीओ कार्यालय के बाबू ने 200 रू0 ले लिये। जान-बूझ कर आरटीओं कार्यालय में बाबुओ द्वारा यह खेल खेला जा रहा है। इसी प्रकार एक दूसरे प्रकरण में नाम गलत होने पर बाबुओं ने आवेदक को समझा दिया कि चलाते रहो या दूसरा नया लाइसेंस बनवा लो। अब यह गलती विभाग की है, वहां कार्यरत कर्मचारियों की है लेकिन न कोई कहने वाला और न ही कोई सुनने वाला, खामयाजा भुगत रहे वह लोग जो लाइसेंस बनवा रहे है। वहीं कुछ आवेदको ने कहा कि आरटीओ दफ्तर के प्रांगण में प्रवेश करते ही दलाल पूंछने लगते है क्या काम है ऐसे में आरटीओ कार्यालय की कार्यप्रणाली पर संदेह होता है। फिलहाल अनजाने में या जानबूझ कर हो रही यह गलती भले ही लोगो की परेशानी का कारण बनी हो लेकिन दलालोें और बाबुओ की कमाई का साधन बनी हुई है।

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