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मानसून की आहट होते ही पिछली वर्ष की तरह इस बार भी टिड्डी दल का खतरा मंडराने लगा

कानपुर। मानसून की आहट होते ही पिछली वर्ष की तरह इस बार भी टिड्डी दल का खतरा मंडराने लगा है। टिड्डी दल से फसलों को बचाने के लिए कृषि निदेशालय ने खासतौर पर किसानों को अलर्ट किया है। अगले माह तक टिड्डी दल के आने की संभावना जताई जा रही है। मानसून के दस्तक देते ही टिड्डी दल खेतों में घुसकर आतंक मचाते हैं और फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। दरअसल इस बार मानसून के पहले चक्रवात की वजह से बारिश होने के कारण इनका झुंड सक्रिय हुआ है। जो कभी भी फसलों को हानि पहुंचा सकते हैं।
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बताया गया है कि टिड्डी एक प्रवासी कीट है, जो हजारों किमी तक उड़ सकता है। मौसम अनुकूल मिलते ही इनकी संख्या में वृद्धि हो जाती है। साथ ही टिड्डियों के कई दल मानसून के दौरान अफ्रीका से पाकिस्तान होते हुए राजस्थान के रास्ते आते हैं। इनका झुंड खेतों में घुसकर फसलों व वनस्पतियों को चट कर जाते हैं। एक टिड्डी का वजह करीब दो ग्राम होता है। यह अपने वजन के बराबर एक दिन में खाना खाते है। इस तरह लाखो टिड्डियो के झुंड के हमले से फसल में कुछ नही बचता और कीटनाशक दवा का भी कुछ खासा प्रभाव नहीं पड़ता।
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गौरतलब है कि टिड्डी दलों से फसलों के बचाव के लिए टिड्डी दलों की सूचना किसान कृषि विभाग व जिला प्रशासन को प्रधान, लेखपाल, कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों, ग्राम पंचायत अधिकारी के द्वारा तत्काल दें। प्राथमिक स्तर पर किसान एकत्रित होकर टीन के डिब्बों व थालियों से तेज आवाज करके फसलों को बचा सकते हैं। बलुई मिट्टी वाले खेतों में जुटाई करा जलभराव करा दें, जिससे टिड्डी का प्रजनन नहीं होगा। इसके अतिरिक्त नीम के तेल को पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें। इस तरह भी फसल के नुकसान को काफी हद तक बचाया जा सकता है।

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