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हैलट हास्पिटल में , खून के दलाल व जिम्मेदारों की सांठ-गांठ से खून की दलाली का खेल जारी

ठोस कार्यवाही की दरकार, जिम्मेदार बरत रहे लापरवाही
हरिओम गुप्ता
कानपुर नगर | हैलट हास्पिटल में खून का खेल कोई नया नही है। समय-समय पर समाचार पत्रों में इस सम्बन्ध में खबर प्रकाशित हुई है लेकिन ठोस कार्यवाही न होने के कारण जिम्मेदारों की सांठ-गांठ से यह खेल जारी है। हैलट हास्पिटल ओपीडी गेट पर मेडिकल स्टेर के दलालो और खून के दलालो का बोलबाला रहता है जो तीमारदारों का हाथ पक पकड लेते है और जबरन मेडिकल स्टोर ले जाते है जहां से उनकी दलाली तय होती है। कई बार तीमारदारों द्वारा शिकायत करने के बाद भी विभाग सक्रीय नही हुआ। गुरूवार को कार्यवाही करते हुए हैलट चाुकी के पुलिसकर्मियों ने दलालों को खदेडा भी। बात एक दिन की कार्यवाही की नही है। मरीज को ऐसे समय खून की आवश्यकता होती है जब वह जीवन और मृत्यु के बीच फंसा होता है। ब्लड बैंक में जहां आसानी से खून नही दिया जाता वहीं इन दलालों के माध्यम से आसानी से आवश्कतानुसार खून मिल जाता है।
मेडिकल स्टोर तथा खून का कारोबार करने वालो का एक पूरा दल सक्रीय है। सूत्रों की माने तो हैलट गेट पर जितने भी मेडिकल स्टोर है वहां के हर मेडिकल स्टोर में दो-चार दलाल पले है जो ओपीडी, वाडो तथा इमरजेंसी में सक्रिय रहते है और तीमारदारों को भारी डिसकाउंट का लालच देकर अपने सेट मेडिकल स्टोर ले जाते है। यही नही अस्पतला के अन्दर बेडों तक भी इनकी पहुंच है। दूसरी तरफ पूरी जानकारी होते हुए भी हैलट के अधिकारी भी कुछ नही कर पा रहे है। इतना ही नही निजी जांचे भी बाहर से कराई जा रही है जहां तीमारदारों से मनमाना पैसा वसूला जा रहा है। वहीं ब्लड बैंक की हालत और भी ज्यादा खराब है। यहां सक्रीय दलाल को ही आसानी से खून मिलता है आम मरीज व तीमारदारों को यहां के कर्मचारी ऐसी नजर से देखते है जैसे कोई फ्री का खून मांगने आ गया है। ऐसे मे मंहगे दामों में खून खरीदना मरीजो और तीमारदारों की मजबूरी बन चुकी है। यदि दो या तीन यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है तो तीमारदारों को एक ही यूनिट देकर टरका दिया जाता है, वहीं जब प्राइवेट नर्सिंग होमो में भर्ती मरीज को ब्लड की जरूरत होती है तो उसे आसानी में मल जाता है। तीमारदारों ने बताया कि ब्लड बैंक में मौजूद कर्मी कहते है कि उन्हे एक एक ही यूनिट ब्लड देने का आदेश मिला है। लागातार इस प्रकार हैलक में मरीजों का इस दिक्कत का सामना करना पड रहा है। शिकायत पर कुछ कार्यवाही तो की जाती है लेकिन कुछ ही समय बाद फिर पहले जैसा हो जाता है।

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