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ग्लू की फैक्ट्रियो पर गांव वालों ने किया हंगामा

मैदान में चारो ओर फैला वेस्टेज

कानपुर नगर | कानपुर नगर के जाजमऊ क्षेत्र में जमीन के साथ साथ जमीन के नीचे का पानी भी जहरीला हो गया है। एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी स्वच्छता अभियान चला रहे है प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए कई योजनाण्े बनाई जा रही है तो इस इालाके के पेउंदी गाव में कई वर्षो से जानलेवा भटिटया धधक रही है। इन भटिटयों के जहर की चपेट में आसपास के गांव भी आ चुके है। इन भटिटयों के सम्बन्ध में स्थानीय निवासियों ने कई बार जिला प्रषासन व सरकार से शिकायत भी की लेकिन कोई कार्यवाही नही की गयी। जहां ग्लू की भटिटयों से उठने वाला धुंआ लोगो का स्वास्थ्य खराब कर रहा है।आलम यह है कि इस जानलेवा धुएं के कारण गांव के लोग अपनी बेटियों की शादी नही कर पा रहे है। वहीं भटिटयों में गलाया गया चमडे का पानी सीधे गंगा में गिर रहा है जो विभागीय अधिकारियों की लापरवाही को उजागर कर रहा है। इस पूरे क्षेत्र में सालों से ग्लू बनाने वाली फैक्ट्रियों का कब्जा है और यहां पर ग्लू बनाने का काम किया जा रहा है। इन ग्लू की भटिटयों से जो केमिकल निकलता है और जो जहरीला धुंआ निकलता है वह स्वास्थ्य के साथ साथ पर्यावरण के हानिकारक है। यहां तथा आसपास के गांव के निवासी इस परेशानी के सम्बन्ध में कई शिकायत कर चुके है लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नही हुई ऐसे में लोगो का सब्र टूट गया और रविवार को गांव वाले एकत्र होकर ग्लू बनाने के कारखानो पर धावा बोलकर जमकर हंगामा किया। लोगों को हंगामा करते देख ग्लू की भटिटयों पर काम कर रहे कर्मचारी भाग निकले।जाजमऊ के आस पास के क्षेत्रों में सैकडो की संख्या में ग्लू की भट्टिया धधंक रही है जिससे निकलने वाला केमिकल जमीन को बंजर तो बना

ही रहा है साथ ही यह केमिकल सीधे गंगा में जा रहा है, दूसरी तरफ इन भटिटयों से निकले वाला जहरीला धुंआ आस पास के गावों में रहने वाले लोगो के स्वास्थ को भी प्रभावित कर रहा है। कई बार शिकायत करने के बावजूद भी जब कोई कार्यवाही नही हुई और लोगो की परेशानी बढती गयी तो गांव के लोगो का धैर्य टूट गया और रविवार को सैकडो की संख्या में एकत्र होकर लोगो ने ग्लू की भटिटयों पर हमला बोल दिया तथा जमकर हांगामा किया। लोेगो का कहना है कि सालों से इन भटिटयों से निकलने वाला जहर लोगो को बीमार बना रहा है। कोई चर्मरोग से तो कोई टीबी के रोग से परेशान है। हर घर में कोई न कोई बीमार है। फसले जहरीले केमिकल से दूषित पैदा हो रही है। वहीं इसी पानी से पैदा घास व सब्जी को खाकर जानवर भी बीमार हो जाते है और उन्ही जानवरो का दूध वह लोग उपयोग करते है। कहा कि यहां पर रहने वालो का पूरा जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। आलम यह है कि इन गांवों में कोई शादी करने को तैयार नही है। बीते 20 वर्षो से यह भटिटंया धंधक रही है। बताया कि यहा खाद की भी भटिटया है जबकि असलियत कुछ और ही है। यहां मरे हुए जानवरों की खाल का प्रयोग इन भटिटयों को सुलगाने में किया जाता है। लोगों ने बताया कि जल्द ही इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी से भेंट कर यहां की यह भटिटयां हटाने की मांग की जायेगी ताकि इन गांवों में लोगो का जीवन खुशहाल बन सके और यहां के लोगो को कोई बीमारी न हो।

 

 

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