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रमजान का तीसरा अशरा बड़ा अफजल : मौलाना

अयोध्या। माह ए रमजान के दो अशरे रहमत और मगफिरत के खत्म हो गए। इन दो अशरों में अल्लाह के नेक बंदों से जो भी टूटी फूटी इबादत हुई अल्लाह उसे कुबूल फरमा ले और माह ए रमजान के तीसरे अशरे को भी इबादत वाला बना दे। यह अशरा बड़ा ही अफजल है और जहन्नुम की आग से आजादी दिलाने वाला अशरा है।
यह बात मौलाना कामिल हुसैन नदवी ने माह ए रमजान पर रोशनी डालते हुए की। उन्होंने बताया कि रमजान का तीसरा अशरा बहुत ही अफजल है। यह 20 वें रमजान से शुरू होता है। इसे निजात वाला अशरा कहा गया है। इसमें रोजेदार जहन्नम की आग से आजादी का परवाना हासिल करने के लिए अल्लाह की इबादत में जी-जान से जुटे रहते हैं।इसी अशरे में पांच शबे कद्र आती है जिनमें से सबसे अफजल और रुहानी 27 वीं शबे कद्र को माना गया है। उन्होंने बताया कि इसी रात को आसमान से कुरान शरीफ नाजिल हुआ था। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को इन पांचों शबे कद्र में ज्यादा से ज्यादा इबादत कर अल्लाह तआला के दरबार में अपनी हाजिरी देनी चाहिए। शायद इससे खुश होकर अल्लाह हमारी दुआएं कुबूल फरमाकर हमें दुनिया में अमन की जिन्दगी अता कर दे।

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