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हिन्दू समाज में ‘‘समरसता’’ संघ की प्राथमिकता –संघ प्रचारक श्री सुधांशु जी

अयोध्या। अयोध्या जिले में आरएसएस ने मकर संक्रांति के अवसर पर मकर संक्रांति उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भरत नगर (भदरसा)  कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जिला प्रचारक सुधांशु जी ने कहा कि मकर संक्रांति का पर्व सामाजिक समरसता का पर्व है। हमारी परंपरा सभी को साथ में लेकर चलने की है। “सब समाज को लिए साथ में आगे है बढ़ते जाना” यह भाव हम सभी के मन में होना चाहिए।
हम सभी को नर में नारायण और नारी में नारायणी के स्वरूप का दर्शन करना चाहिए। हम सभी मां भारती की संतति है। हम सभी के लिए राष्ट्र सबसे पहले हैं आज जिस प्रकार से समाज में विभिन्न राष्ट्र विरोधी शक्तियां समाज को विखंडित करने में लगी हुई हैं, हमारी भूमिका और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम, भगवान श्रीकृष्ण हम सब के आदर्श हैं।
सोहावल में जिला सेवा प्रमुख पुष्कर दत्त तिवारी ने कहा हम सभी उनके आराधक हैं। भगवान की आराधना के साथ-साथ श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में उतारकर राष्ट्र को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है, उन्होंने कान्वेंट शिक्षा पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि कान्वेंट शब्द का शाब्दिक अर्थ अपने आप में भारतीय संस्कृत के विरुद्ध है, कान्वेंट पद्धति के माध्यम से ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण को बढ़ावा देने का कार्य किया जाता है, उन्होंने लव जेहाद पर आगाह करते हुए कहा कि आज बेटियों को शिक्षित और जागरूक करने की आवश्यकता है।मकर संक्रांति पर्व सामाजिक समरसता का द्योतक है. यह पर्व मनुष्य के जीवन में सुख समृद्धि एवं उल्लास भरता है. इस पर्व को तिला संक्रांति के नाम से भी मनाया जाता है.उन्होंने कहा की अंग्रेजी तिथि के अनुसार हर वर्ष को यह पर्व मनाया जाता है।
मकर संक्राति का विशेष महत्व है, प्रकृति में इस दिन परिवर्तन प्रारंभ होता है. इस दिन से दिन तिल-तिल कर बढ़ना प्रारंभ होता है. संक्रांति का अर्थ है, सम्यक दिशा में की गई क्रांति. समाज जीवन में परिवर्तन लाने के लिए अनेक दिशा में क्रांतियां हुईं. भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराम, शिवाजी महाराज, चाणक्य आदि द्वारा की गई क्रांतियां, सम्यक क्रांतियां हैं. इसी प्रकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा भी समाज जीवन में परिवर्तन लाने हेतु विभिन्न कार्य अपने स्थापना वर्ष से किए जा रहे हैं. हमारा विश्वास स्थाई परिवर्तन में है. क्रांतियों के चार चरण – विचार, योजना, संगठन एवं लक्ष्य होते हैं. संघ ‘‘हिन्दू राष्ट्र’’ के शास्वत विचार को लेकर चल रहा है. हमारा लक्ष्य राष्ट्र को परमवैभव पर ले जाना है।
मया खंड के दीनदयाल शाखा पर जिला कार्यवाह वेद प्रकाश ने कहा संघ का लक्ष्य प्रारंभ से ही तिल-तिल में बंटे हिन्दू समाज को एक करना रहा है. विभिन्न जातियों में बंटे समाज में समरसता स्थापित कर संगठित करने का कार्य संघ परिवार द्वारा किया जा रहा है. 90 वर्ष में संघ ने हिन्दू समाज में आत्मविश्वास पैदा किया है. सत्ता परिवर्तन लक्ष्य न रखकर संघ ने समाज-संगठन एवं समाज-परिवर्तन को प्राथमिक स्थान दिया है. समाज परिवर्तन का कार्य लोगों को अपने घर परिवार से ही आरंभ करना होगा. विभिन्न जातियों में बंटे समाज में सामाजिक समरसता का भाव पैदा करना होगा. राजनीति अपने स्वार्थ हेतु समाज को बांटने का कार्य करती है. संयुक्त परिवार की परम्परा के दर्शन संपूर्ण विश्व में केवल भारत में ही होते हैं।
मसौधा खंड के स्वामी विवेकानंद शाखा सरियांवा पर सह संघचालक धर्मेंद्र पाठक ने कहा आधुनिकरण के कारण परिवारों में भी विखण्डन प्रारंभ हो गया है. संस्कारों का ह्रास हो रहा है, समस्याओं का समाधान परिवार से बाहर खोजा जा रहा है. पहले संयुक्त परिवार में ही समाधान हो जाता था. समाज में एकल परिवार की बढ़ती पद्धति ने समस्याओं को बढ़ावा दिया है. इसी कारण संघ द्वारा ‘‘कुटुम्ब प्रबोधन’’ पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. समाज में हिन्दू विचार के विरोध में बढ़ती घटनाएं तथा विगत जनगणना के आंकड़े हिन्दू समाज के लिए चिंता का विषय हैं. हिन्दू समाज की घटती जनसंख्या दर राष्ट्र में असंतुलन पैदा करेगी, आने वाले 30 वर्षों में यहां का मूल समाज अल्पसंख्यक हो सकता है, यह सभी राष्ट्रवादियों के लिए गम्भीर चिंता का विषय होना चाहिए।
इस अवसर पर नगर संघचालक महेश जी, सह नगर कार्यवाह राजीव मोदनवाल, सह जिला कार्यवाह आनंद जी,सह जिला शारीरिक प्रमुख हिमांशु,नगर/खंड प्रचारक राजप्रताप,अभिषेक जी,विशाल, विष्णु गुप्ता,संदीप गुप्ता,सुरेंद्र, अरुण तिवारी,अजीत सिंह,दयालु गुप्ता सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे |

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