अम्बिका नन्द त्रिपाठी
अयाेध्या। तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगद्गुरू परमहंस आचार्य के नेतृत्व में सात सूत्रीय मांगों काे लेकर साधु-संत पीएम नरेंद्र मोदी काे पत्र भेजेंगे। इस संबंध में गुरूवार को आचार्य पीठ तपस्वी छावनी, रामघाट में संताें की एक बैठक सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए जगद्गुरू परमहंस आचार्य ने कहा कि सप्त सूत्रीय मांगों काे लेकर संताें ने बैठक की, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं काे रखा गया है। वह इसकाे लेकर जल्द ही प्रधानमंत्री काे पत्र भेजेंगे और संताें के साथ उनसे मिलेंगे भी। उन्होंने कहा कि हमारी पहली मांग है कि वेदों की रक्षा किया जाए। केंद्र सरकार इस ओर अपना ध्यान आकृष्ट करे। वेदाें के विद्वान धीरे-धीरे गुजरते जा रहे हैं। नई पीढ़ी तैयार नही हाे रही है। वेदाें की रक्षा जैसे-न्याय, व्याकरण, ज्याेतिष है। इसकी शिक्षा हाेनी चाहिए। वैदिक शिक्षा ही हमारी भारतीय शिक्षा है। अगर वह चली गई। ताे भारतीय संस्कृति खाे जायेगी। इसी प्रकार विरक्त संताें की रक्षा हाे। विरक्त संताें की परंपरा धीरे-धीरे विलुप्त हाे रही है। संत राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। उनके मठ-मंदिराें का बिजली, पानी फ्री हाे। संताें काे सरकार की तरफ से 40 हजार रूपया महीना भत्ता दिया जाए। गाै हत्या पर तत्काल राेक लगाया जाना चाहिए। इस पर सरकार कठाेर कानून बनाए। गाै वंशाें की रक्षा हाे। सरकार दाे बच्चों की नीति जल्द से जल्द लागू करे। जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए जाए। साथ ही समान नागरिक संहिता कानून लागू हाे। इसी प्रकार सरकार पर्यावरण पर गंभीर हाे। पर्यावरण की रक्षा काे लेकर कानून बनाए। इन सभी बातों काे हम केंद्र सरकार तक पहुंचायेंगे। वहीं हनुमानगढ़ी गद्दीनशीन के शिष्य मामा दास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले बाद भव्य राममंदिर बन रहा है। देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयाेध्या आ रहे हैं। उनके लिए शुद्ध पेयजल, लाकर रूम, शाैचालय आदि की व्यवस्था हाे। साथ ही साथ श्रद्धालुओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर अयाेध्यावासियाें व श्रद्धालुओं को परेशान किया जा रहा है। इस पर शासन-प्रशासन विशेष ध्यान दे। ताकि अयाेध्यावासियाें और श्रद्धालुओं को काेई दिक्कत न हाे। उक्त बैठक में नागा नंदराम दास हनुमानगढ़ी, काली मंदिर कलकत्ता के कर्ण पुरी महाराज, तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के पुजारी कृष्ण प्रपन्नाचार्य, श्रीमहंत रामउदार दास बलिया, नागा सूर्यभान दास, महंत जानकी शरण रामायणी, चंदा बाबा, पहलवान मनाेज दास, पुजारी उपेंद्र दास, पहलवान राजेश दास आदि संताें ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर काफी संख्या में साधु-संत माैजूद रहे।