इटावा। योगी शासन में गायों की बहुत दुर्दशा है। बिना छांव की अस्थाई गौशालाओं में पानी व चारे के आभाव में गायें भूूख-प्यास से तडफ-तडफकर बेमौत मरने को मजूबर हैं। गौशालाओं में अब तक दर्जनों गायें मौत का शिकार हो चुकी है। हजारों की संख्या में आवारा गायें किसानों के लिए सिरदर्द बनी थीं लोकसभा चुनाव आने पर प्रदेष सरकार ने वोट की खातिर गांव-गांव में अस्थाई गौशालाएं बना दी और प्रधानों को खिलाने-पिलाने को जिम्मेदारी दे दी। बजट कम मिलने पर प्रधानों ने हाथ खडे कर लिए। गौषालाओं में पानी व छांव की व्यवस्था न होने से उनमें बंद निरीह गायें व संाड भूख प्यास से तडफ-तडफकर मरने लगे। भूख-प्यास से बैचेन सांड हिंसक होकर गायों पर हमला करने लगे जिससे घायल गायों का बिना इलाज के मरना जारी है। षासन द्वारा गौषालाओं के लिए नये आदेष किये जा रहें है। लेकिन उन पर अमल नहीं हो रहा है। गौषालाओं तथा उनमें बंद गायों की बहुत दुर्दषा है। गौषालाओं में मृत गायों के षवों को सुनसान में खुले स्थानों पर फेंक दिया जाता जिसकी संडान्ध से आसपास के गावों के लागें परेषान होते हैं तथा संक्रामक बीमारियां फैलने की संभावना है। अस्थाई गौषालायें खुलने के बाद आज बडी संख्या में गौवंष आवारा घूमते नजर आ रहे हैं। गौषालाओं और गौवंष की समस्या बनी हुइ है।