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महिला सषक्तिकरण सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में से एक हैः राश्ट्रपति

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। राश्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में महिलाओं की भूमिका विस्तष्त होने का सोमवार को उल्लेख किया और कहा कि महिला सषक्तिरण सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में से एक है। बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में संबोधित करते हुए राश्ट्रपति ने यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में महिलाओं की भूमिका अधिक विस्तष्त होती जा रही है। 2021-22 में 28 लाख स्वयं सहायता समूहों को बैंकों की तरफ से 65 हजार करोड़ रुपये की मदद दी गई है। यह राषि 2014-15 की तुलना में 4 गुना अधिक है। सरकार ने हजारों महिला स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को प्रषिक्षण देकर उन्हें बैंकिंग सखी के रूप में भागीदार भी बनाया है। ये महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को घर-घर तक पहुंचाने का माध्यम बन रही हैं। राश्ट्रपति ने जोर देकर कहा, ‘‘महिला सषक्तिकरण मेरी सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में से एक है। उज्ज्वला योजना की सफलता के हम सभी साक्षी हैं। “मुद्रा” योजना के माध्यम से हमारे देष की माताओं-बहनों की उद्यमिता और कौषल को बढ़ावा मिला है। “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” पहल के अनेक सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं, और स्कूलों में प्रवेष लेने वाली बेटियों की संख्या में उत्साहजनक वष्द्धि हुई है। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया, ‘‘बेटे-बेटी को समानता का दर्जा देते हुए मेरी सरकार ने महिलाओं के विवाह के लिए न्यूनतम आयु को 18 वर्श से बढ़ाकर पुरूशों के समान 21 वर्श करने का विधेयक भी संसद में प्रस्तुत किया है। कोविंद ने कहा, ‘‘सरकार ने तीन तलाक को कानूनन अपराध घोशित कर समाज को इस कुप्रथा से मुक्त करने की षुरुआत की है। मुस्लिम महिलाओं पर, केवल मेहरम के साथ ही हज यात्रा करने जैसे प्रतिबंधों को भी हटाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘वर्श 2014 से पूर्व अल्पसंख्यक वर्ग के लगभग तीन करोड़ विद्यार्थियों को छात्रवष्त्तियां दी गई थीं, जबकि मेरी सरकार ने वर्श 2014 से अब तक ऐसे साढ़े चार करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को छात्रवष्त्तियां प्रदान की हैं। इससे मुस्लिम बालिकाओं के स्कूल छोड़ने की दर में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है तथा उनके प्रवेष में वष्द्धि देखी गई है। राश्ट्रपति ने कहा, ‘‘देष की बेटियों में सीखने की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए राश्ट्रीय षिक्षा नीति में ‘जेंडर इन्कलून फंड’ (लैंगिक समावेषी कोश) का भी प्रावधान किया गया है। यह हर्श की बात है कि मौजूदा सभी 33 सैनिक स्कूलों ने बालिकाओं को प्रवेष देना षुरू कर दिया है। उनके अनुसार, ‘‘सरकार ने राश्ट्रीय रक्षा अकादमी में भी महिला कैडेट्स के प्रवेष को मंजूरी दी है। महिला कैडेट्स का पहला बैच एनडीए (राश्ट्रीय रक्षा अकादमी) में जून 2022 में प्रवेष करेगा। मेरी सरकार के नीतिगत निर्णय और प्रोत्साहन से, विभिन्न पुलिस बलों में महिला पुलिस-कर्मियों की संख्या में, 2014 के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी हो चुकी है।’’

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