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लागत से दोगुनी से भी ज्यादा कीमत पर बिक रहा पेट्रोल

कच्चे तेल की लागत 49.12 रुपये प्रति लीटर और कीमत 105.41 रुपये प्रति लीटर
नई दिल्ली। 22 मार्च से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा होने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वो लगातार जारी है। पिछले 16 दिनों में 14 बार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के कारण राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत बढ़कर 105.41 रुपये प्रति लीटर हो गई है। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को जिस लागत पर पेट्रोल तैयार करने के लिए कच्चा तेल मिलता है, आपको उससे दोगुनी से भी ज्यादा रकम पेट्रोल पंप पर चुकानी पड़ती है। पेट्रोल की कीमत में केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकार द्वारा वसूले जाने वाले वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) का योगदान कच्चे तेल की मूल कीमत से भी काफी ज्यादा होता है। कुछ राज्यों की सरकार तो वैट के रूप में केंद्र की एक्साइज ड्यूटी से भी ज्यादा टैक्स की वसूली करती हैं। राजधानी दिल्ली में पेट्रोल लेने पर उपभोक्ताओं को पेट्रोल पंप पर आज 105.41 रुपये का भुगतान करना पड़ रहा है। पेट्रोल की इस कीमत में कच्चे तेल की लागत 49.12 रुपये प्रति लीटर है। लेकिन ऑयल मार्केटिंग कंपनियां दिल्ली में पेट्रोल पंप डीलर्स को इसमें भी प्रति लीटर 4.74 रुपये की छूट देती हैं, जिसकी वजह से पेट्रोल पंप डीलर्स की ओर से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को 1 लीटर पेट्रोल के एवज में सिर्फ 44.38 रुपये ही मिलते हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं से 1 लीटर पेट्रोल के लिए ली जाने वाली 105.41 रुपये की राशि में से बची शेष 56.29 रुपये की राशि का इस्तेमाल डीलर को कमीशन देने और केंद्र तथा राज्य सरकार का टैक्स भरने में होता है। जानकारों के मुताबिक राजधानी दिल्ली में 1 लीटर पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी और रोड सेस को मिलाकर 32.90 रुपये केंद्र सरकार के टैक्स के रूप में वसूले जाते हैं। इसमें ये बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि रोड सेस के रूप में दिया जाने वाला पैसा सिर्फ सड़कों के विकास के काम में ही खर्च किया जाता है। अन्य मद में सेस के पैसे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। सरकार के अन्य खर्चों के लिए एक्साइज ड्यूटी के रूप में वसूली गई राशि का इस्तेमाल होता है। दूसरी ओर 1 लीटर पेट्रोल पर दिल्ली की राज्य सरकार वैल्यू ऐडेड टैक्स (वैट) के रूप में 30 प्रतिशत टैक्स वसूलती है। आज की तारीख में दिल्ली की राज्य सरकार के टैक्स की राशि प्रति लीटर 24.33 रुपये है। इसी तरह राजस्थान के गंगानगर में तो राज्य सरकार वैट के रूप में केंद्र सरकार के टैक्स यानी एक्साइज ड्यूटी और रोड सेस को मिलाकर होने वाली कुल राशि 32.90 रुपये से भी ज्यादा 33.44 रुपये प्रति लीटर टैक्स वसूलती है। आपको बता दें कि पूरे देश में राजस्थान सरकार पेट्रोल पर सबसे अधिक 36 प्रतिशत की दर से वैट की वसूली करती है। जानकारों का कहना है कि महंगे पेट्रोल के लिए राजनीतिक वजहों से और जानकारी नहीं होने के कारण भी आमतौर पर लोग केंद्र सरकार की ओर से लगाई गई एक्साइज ड्यूटी की आलोचना करते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि पेट्रोल की बिक्री से जितना टैक्स केंद्र सरकार वसूल रही है, कमोबेश वैसा ही भारी भरकम टैक्स राज्यों की सरकारें भी वसूल रही हैं, जिसका बोझ आम उपभोक्ताओं को वहन करना पड़ रहा है।

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