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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (10 सितम्बर) पर विशेष

जीवन है अनमोल : इसको न समझें कोई खेल
हताशा व निराशा में कोई भी गलत कदम न उठायें
अपनों से करें बात, हर समस्या का होगा समाधान
लखनऊ । जीवन में जल्द से जल्द सब कुछ हासिल कर लेने की तमन्ना और एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में आज लोग बेवजह मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं । इसमें जरा सी नाकामयाबी अखरने लगती है और लोग अपनी जिन्दगी तक को दांव पर लगा देते हैं । कोरोना काल में भी लाक डाउन के चलते तमाम लोगों की नौकरियां चलीं गयीं, लोगों को अपनी रोजी-रोजगार छोड़कर वापस गाँव लौटना पड़ा । लोग शुरू में इसे लेकर तनाव में थे लेकिन अपनों के बीच बैठकर जब समस्या रखी तो उसका कोई न कोई रास्ता जरूर निकला । इसलिए जब भी हताशा-निराशा में कोई भी गलत कदम उठाने की बात दिमाग में आये तो सबसे पहले अपनों के करीब जाएँ । इन्हीं मामलों को देखते हुए हर साल 10 सितम्बर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है । इसे मनाने का मकसद आत्महत्या को रोकने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करना । इसके जरिये यह सन्देश देने की कोशिश की जाती है कि आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोका जा सकता है इस वर्ष वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस) की थीम है- “आत्महत्या रोकने को मिलकर काम करना ”
कोरोना काल में मीडिया में ऐसी कई खबरें आयीं कि कोरोना उपचाराधीन ने डर के कारण आत्महत्या कर ली , इसमें पढ़े लिखे लोग भी शामिल थे | कुछ लोगों ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली | आत्महत्या का सीधा जुडाव मानसिक स्वास्थ्य से है |
इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन के अनुसार विश्व में आठ लाख लोग हर साल आत्महत्या करते हैं , यानि हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति की मृत्यु आत्महत्या से होती है।

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