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विश्वविद्यालय में मिशन शक्ति के तहत छात्राओं को किया जागरूक

लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो आलोक कुमार राय के मार्गदर्शन में रसायन विज्ञान विभाग ने उत्तर प्रदेश सरकार की मिशन शक्ति पहल के अन्तर्गत एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम की प्रमुख वक्ता डॉ. शिवानी मिश्रा थीं। जो एक स्वतंत्र लेखिका, महिला संबंधित मुद्दों की विशेषज्ञ, आध्यात्मिक परामर्शदाता और पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरापिस्ट हैं। मिशन शक्ति की विभाग समन्वयक डॉ. अमृता श्रीवास्तव ने इस आयोजन की विषयवस्तु का परिचय दिया। प्रोफेसर आभा बिश्नोई ने स्मृति चिन्ह देकर डॉ. शिवानी मिश्रा और प्रोफेसर मधुरिमा लाल का स्वागत किया। आरंभ में फराज गौस, पुलकित शर्मा और अंजलि कार्की द्वारा कार्यक्रम की थीम पर अपने विचार रखे । फिर डॉ. अमृता श्रीवास्तव ने वक्ता का परिचय दर्शकों से कराया। मिशन शक्ति के अन्तर्गत महिला अतीत से प्रेरणा, विषय पर बोलते हुए डॉ. शिवानी मिश्रा ने बताया कि मध्य काल में अत्यंत विकट रूप से रही तथा कामोवेश आज भी विद्यमान महिलाओं संबंधित समस्याएं जैसे-बाल विवाह, पर्दा प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, विधवाओं की दयनीय स्थिति, सामाजिक असुरक्षा, दहेज, अशिक्षा, सती प्रथा समस्याएं भारतीय सभ्यता के आदिकाल दृ वैदिक काल में अपना अस्तित्व ही नहीं रखती थीं। बालिकाओं का भी यज्ञोपवीत करके उन्हें शिक्षा दी जाती थी। विविध विषयों के ज्ञान के साथ ही उन्हें मंत्र रचना करना, वस्त्र बुनना, धार्मिक अनुष्ठान करना, रथ चलाना, सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता था। चारों वेदों में महिलाओं के लिखे मंत्र, उनकी विद्वत्ता को प्रमाणित करते हैं। अकेले ऋग्वेद में अपाला, घोषा, अदिति, विश्ववरा, रोमशा आदि २६ महिलाओं के लिखे मन्त्र मिलते हैं। उस समय में युवक युवती परस्पर एक दूसरे को समझ कर विवाह करते थे। परिवार में ग्रहणी का स्थान एक साम्राज्ञी का होता था। लखनऊ विश्वविद्यालय में मिशन शक्ति गतिविधियों की संयोजक प्रोफेसर मधुरिमा लाल ने इस मिशन के पीछे के मुख्य उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम का समापन किया। उन्होंने इस कार्यक्रम के संचालन में विभाग के शिक्षकों और छात्रों के प्रयासों की सराहना की। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नीरज कुमार मिश्र ने किया। इस कार्यक्रम में रसायन विज्ञान विभाग के संकाय सदस्यों और अनुसंधान शोध छात्रों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के अन्य संकाय सदस्यों ने भाग लिया।

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