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विदेशी कोयला खरीदा तो बेहिसाब होगी बिजली दरों में बढ़ोतरी, उत्पादन निगम से जवाब-तलब

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के ताप बिजलीघरों के लिए विदेशी कोयले की खरीद में पेंच फंस गया है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के निर्देश पर इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू होने से पहले राज्य विद्युत नियामक आयोग ने विद्युत उत्पादन निगम से जवाब-तलब कर लिया है। आयोग ने विदेशी कोयले की खरीद को लेकर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की याचिका का संज्ञान लेकर कई विधिक सवाल खड़े करते हुए उत्पादन निगम के अध्यक्ष से तत्काल रिपोर्ट देने को कहा है।
दरअसल, कोयले की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को ताप बिजलीघरों के लिए 10 प्रतिशत आयातित कोयला खरीदने की सलाह दी है। केंद्र के निर्देश के बाद राज्य विद्युत उत्पादन निगम 22.5 लाख टन विदेशी कोयला खरीदने के लिए टेंडर की प्रक्रिया में जुटा था। इसकी भनक लगते ही राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सोमवार को नियामक आयोग में लोक महत्व की याचिका दायर कर इस पर रोक लगाने की मांग की थी।
परिषद का कहना है कि आयातित कोयले की कीमत देशी कोयले के मुकाबले कई गुना ज्यादा है और इससे आम उपभोक्ताओं की बिजली दरें बढ़ेंगी। आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह व सदस्यों ने याचिका व समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेते हुए विद्युत उत्पादन निगम को नोटिस जारी कर जवाब मांगने का निर्देश दिया। इसके बाद आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह ने उत्पादन निगम के अध्यक्ष को पत्र भेजकर कई बिंदुओं पर जवाब-तलब किया है।
आयोग ने पूछा है कि जिस विदेशी कोयले की खरीद की तैयारी चल रही है उसकी ग्रास कैलोरिफिक वैल्यू (जीसीवी) बहुत ज्यादा होती है। उत्पादन निगम की पुरानी इकाइयों में क्या यह विदेशी कोयला इस्तेमाल हो पाएगा? क्या उत्पादन निगम ने पावर कॉर्पोरेशन से इस पर कोई सलाह ली है? उत्पादन निगम द्वारा पावर कॉर्पोरेशन को बिजली देने में कोई दिक्कत आ रही है? पिछले एक महीने में उत्पादन की क्या स्थिति रही है? क्या कोयले की कमी सामने आई है?
आयोग ने यह भी सवाल उठाया है कि केवल उत्तर प्रदेश विद्युत उत्पादन निगम ही क्यों विदेशी कोयला खरीदने जा रहा है। दूसरे राज्यों की उत्पादन इकाइयां क्यों नहीं खरीद रही हैं?अगर विदेशी कोयले से उत्पादन होगा तो मेरिट डिस्पैच ऑर्डर (उत्पादकों से बिजली खरीद के क्रम) पर क्या प्रभाव पडे़गा? आयोग ने उत्पादन निगम से यह भी पूछा है क्या विदेशी कोयला खरीदने के लिए सरकार व निदेशक मंडल से कोई अनुमति ली गई है। आयोग ने सभी बिंदुओं पर स्पष्ट जानकारी तलब करते हुए चेताया है कि विदेशी कोयले की खरीद पर जो भी अतिरिक्त खर्च आएगा उसे आयोग उत्पादन निगम के एआरआर का हिस्सा नहीं मानेगा।
आयातित कोयले की कीमत लगभग 17000 रुपये प्रति टन से ज्यादा है
याचिकाकर्ता अवधेश कुमार वर्मा ने कहा केंद्र सरकार नाजायज तरीक से विदेशी कोयला खरीदने का दबाव बना रही है। घरेलू लिंकेज के आधार पर उत्पादन इकाइयों को 1700 रुपये प्रति टन में कोयला मिल रहा है जबकि आयातित कोयले की कीमत लगभग 17000 रुपये प्रति टन से ज्यादा है। मात्र 10 प्रतिशत विदेशी कोयला खरीदने से ही प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी होगी।
अगर कोल इंडिया बिजलीघरों को करार के मुताबिक कोयला आपूर्ति नहीं कर पा रहा है तो यह किसकी जिम्मेदारी है? वर्मा के मुताबिक पिछले 5 दिनों में झांसी के परीछा बिजलीघर में लगभग 20 रैक कोयला पहुंचा है। इसे उतरवाने के लिए अभियंताओं की ड्यूटी लगाई गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कोयले का कृत्रिम अभाव दिखा कर विदेशी कोयला खरीदने की साजिश की जा रही है। इसकी जांच कराकर साजिश करने वालों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

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