लखनऊ|मेस का भोजन करना एक छात्र को इतमा महंगा पड़ गया कि इसके एवज में उसे 20 हजार रुपये जुर्माने के रूप में देना पड़ा। लखनऊ विश्वविद्यालय में बिना अनुमति बीए सेकेंड ईयर के छात्र ने मेस का खाना खाया, तो उस पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। साथ ही 100 रुपये के स्टैंप पेपर पर शपथपत्र के साथ फरमान भी जारी किया गया। प्रॉक्टर प्रो. विनोद कुमार सिंह की ओर जारी आदेश में एक सप्ताह में जुर्माने की राशि एलयू के बैंक खाते में जमा न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। मामला तीन सितंबर का है। बीए सेकेंड ईयर के छात्र आयुष सिंह ने सेंट्रल मेस में अनाधिकृत रूप से भोजन कर लिया था। नियम के अनुसार, यहां सिर्फ हॉस्टल के छात्र ही खाना खा सकते हैं। आयुष के खाना खाने की खबर किसी ने प्रॉक्टर को दी। मौके पर पहुंचे प्रॉक्टर विनोद सिंह ने छात्र को पकड़ा और 30 सितंबर को छात्र को कारण बताओ नोटिस दिया। यह किसी छात्र पर लगाया गया अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना बताया गया है। छात्र का कहना है कि वह किराए के कमरे में रहता है। तेज भूख लगने पर वह मेस में खाना खाने चला गया। उसने माफी मांगते हुए दोबारा गलती न दोहराने की बात कही लेकिन इसके बावजूद एलयू प्रशासन ने 20 हजार रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया। छात्रों ने प्रॉक्टर पर मनमाने तरीके से 20 हजार रुपये लेने का आरोप लगाया है। छात्रों के अनुसार, आयुष ने तेज भूख लगने पर खाना खाया। उसने केवल एक ही बार इस तरह से खाना खाया। उससे उसी दिन का चार्ज लेने की बजाय अधिकारियों ने उसे प्रताड़ित करने के मकसद से 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। प्रॉक्टर विनोद का कहना है कि छात्र पर लगाया जुर्माना ज्यादा नहीं है। इसमें, 10 हजार रुपये जुर्माने की रकम और बाकी के 10 हजार रुपये सत्र की शुरुआत से अब तक का मेस का खाना है। उनका आरोप है कि छात्र ने पहले भी मेस का खाना खाया है। रजिस्टर में नाम और कमरा नंबर बदल-बदल कर लिख देता था। तीन सितंबर को निरीक्षण के दौरान पकड़ा गया। राइटिंग मिलाने पर खेल का खुलासा हुआ। इसी कारण 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। हालांकि, छात्र को जारी नोटिस में केवल एक ही दिन खाने का जिक्र किया गया था।