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सिंचाई विभाग ने पुनर्जीवित की छोटी गण्डक नदी-स्वतंत्र देव

राप्ती नदी से गोरखपुर व देवरिया के 33 ग्रामों की 60000 की आबादी लाभान्वित
गोरखपुर के दो तहसीलों, देवरिया की एक तहसील को राप्ती नदी से ग्रीष्म ऋतु में मिला पानी
लखनऊ। जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि सिंचाई विभाग द्वारा गुर्रा नदी के ढाल को कम करके ग्रीष्म ऋतु में राप्ती नदी में निरन्तर प्रवाह बनाकर गोरखपुर के 27 ग्राम तथा देवरिया के 06 ग्रामों सहित कुल 33 ग्रामों की लगभग 60000 की आबादी तथा पशु, पक्षियों को लाभान्वित करने के साथ भू-गर्भ जल को भी बढ़ाने का कार्य किया है। वहीं इसके साथ ही गुर्रा नदी से बाढ़ के समय बाढ़ से होने वाली क्षति को कम करके गोरखपुर के 20 ग्राम एवं देवरिया के 06 ग्रामों सहित कुल 26 ग्रामों की 35000 आबादी को सुरक्षित करने के सराहनीय कार्य किया गया है। गुर्रा नदी का उद्गम स्थल गोरखपुर में प्रवाहित राप्ती नदी से ग्राम-रूदाइन मझगंवा, तहसील-बाँसगांव एवं ग्राम सेमरौना, तहसील-चौरी चौरा है। उद्गम स्थल से गुर्रा नदी का ढाल राप्ती नदी के ढाल से अधिक होने के कारण बाढ़ एवं ग्रीष्म ऋतु में पानी का बहाव समानुपातिक नहीं होने से बाढ़ अवधि में गुर्रा नदी से भारी तबाही की सम्भावना बनी रहती थी, वहीं दूसरी ओर ग्रीष्म ऋतु में राप्ती नदी के सूख जाने के कारण आबादी एवं पशु पक्षियों एवं जीव-जन्तुओं को कृषि कार्य एवं पीने का पानी नहीं मिलने से जन-जीवन प्रभावित होता था। इसके साथ ही सिंचाई विभाग की पहल पर छोटी गंडक नदी को भी पुनर्जीवित करने हेतु प्रयास किये गये, जिसके क्रम में नदी के सेक्शन की पुनर्स्थापना का कार्य प्रारम्भ किया गया है। नदी को मूल स्वरूप में लाने की प्रक्रिया के दौरान ही भूजल स्तर नदी में आने लगा और सिंचाई विभाग द्वारा की गई पहल कारगर व सफल साबित हुई। छोटी गण्डक एक घुमावदार भूजल आधारित नदी है जो नेपाल राष्ट्र के परसौनी जनपद-नवलपरासी से उद्गमित होकर भारत राष्ट्र में लक्ष्मीपुर खुर्द ग्राम सभा जनपद-महराजगंज उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। यह नदी महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया जनपदों में 250 किमी0 की लम्बाई में बहती हुई अनन्तः बिहार राज्य के सीवान जिले के गोठानी के पास घाघरा नदी में मिल जाती है। छोटी गण्डक के भारत राष्ट्र में प्रवेश करने के उपरान्त प्रारम्भ के लगभग 10 किमी0 लम्बाई में अस्तित्व समाप्त हो चुका था। नदी सेक्सन में पूणर्तः सिल्टेड व संकुचित होकर कृषि कार्य किया जाने लगा। इस नदी को पुनजीवित करने के लिये कार्य तेजी से किया गया है।

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