Home > स्थानीय समाचार > राम गोविंद चौधरी को नेता विरोधी दल बनना गलत निर्णय था : राम नाईक

राम गोविंद चौधरी को नेता विरोधी दल बनना गलत निर्णय था : राम नाईक

लखनऊ । उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने शनिवार को उत्तर प्रदेश की नवगठित विधान सभा में नेता विरोधी दल को अभिज्ञात करने के विषय पर विधान सभा में शुक्रवार को हुई संक्षिप्त चर्चा पर संतोष व्यक्त करते हुये अपेक्षा की है कि विधानसभा की नियम संबंधी समिति विचार-विमर्श करके इस विषय में उचित निर्णय लेगी। राज्यपाल का मानना है कि निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष द्वारा नवगठित विधान सभा में नेता विरोधी दल को अभिज्ञात करना जनतांत्रिक सिद्धांतों के विरूद्ध है। राज्यपाल ने कहा है कि सामान्य निर्वाचन के उपरान्त नवगठित विधान सभा में नेता विरोधी दल को पूर्व अथवा नवनिर्वाचित अध्यक्ष द्वारा अभिज्ञात किये जाने के बारे में उत्तर प्रदेश में अब तक अपनायी गयी अलग-अलग परिपाटी के स्थान पर एक सुस्पष्ट, संविधानसम्मत व स्वस्थ लोकतांत्रिक परिपाटी स्थापित हो जैसा कि लोक सभा सहित देश के विभिन्न राज्यों की विधान सभाओं में भी अनवरत रूप से अपनायी जाती रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1957 से अब तक चली आ रही भ्रमपूर्ण स्थिति तथा अपनायी गयी अलग-अलग परिपाटी पर विराम लग सके और इस संबंध में उत्तर प्रदेश में भी एक सुस्पष्ट परिपाटी स्थापित की जा सके, जो लोकतंत्र और संविधान की भावना के अनुरूप हो। नाईक ने नेता प्रतिपक्ष को निवर्तमान विधान सभा अध्यक्ष द्वारा अभिज्ञात करने के संबंध में देश के ख्यातिलब्ध संसदीय प्रक्रिया के विशेषज्ञ एवं पूर्व महासचिव (लोक सभा) डाॅ0 सुभाष सी0 कश्यप से परामर्श प्राप्त किया था। डाॅ0 कश्यप ने अपने परामर्श में मुख्य रूप से निम्न बिन्दुओं को स्पष्ट किया है कि,
(1) राज्यपाल राज्य विधान मण्डल का अभिन्न अंग होता है। संविधान के अनुच्छेद 168 के अनुसार, राज्य विधान मण्डल राज्यपाल, विधान परिषद एवं विधान सभा से पूर्ण होता है। राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 175(2) के अंतर्गत राज्य के दोनों सदनों को समय-समय पर आवश्यकतानुसार अपना संदेश भेज सकते हैं।
(2) निवर्तमान विधान सभा अध्यक्ष द्वारा नेता विरोधी दल को अभिज्ञात करना जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है। निवर्तमान विधान सभा अध्यक्ष जो कि नव गठित विधान सभा का सदस्य भी न निर्वाचित हुआ हो, को नेता विरोधी दल को अभिज्ञात करने का निर्णय नये विधान सभा अध्यक्ष के लिये छोड़ देना चाहिये था।
उल्लेखनीय है कि विधान सभा सचिवालय उत्तर प्रदेश (संसदीय अनुभाग) द्वारा 27 मार्च, 2017 को अधिसूचना जारी की गयी थी कि नवगठित 17वीं विधान सभा के लिये राम गोविन्द चौधरी को नेता विरोधी दल के रूप में अभिज्ञात किया गया है।
राज्यपाल ने 16वीं विधान सभा के विधान सभा अध्यक्ष द्वारा 17वीं विधान सभा के नेता विरोधी दल को मान्यता दिये जाने को असंवैधानिक एवं अलोकतांत्रिक पाते हुये ‘भारत का संविधान’ के अनुच्छेद 175(2) अतंर्गत नवगठित विधान सभा के विचारार्थ 28 मार्च, 2017 एवं 30 मार्च, 2017 को संदेश भेजे थे। राज्यपाल ने विधान सभा को भेजे अपने संदेश में कहा था कि निवर्तमान विधान सभा अध्यक्ष द्वारा 16वीं विधान सभा के अंतिम कार्यदिवस 27 मार्च, 2017 को नवगठित 17वीं विधान सभा के लिए राम गोविन्द चौधरी, सदस्य विधान सभा एवं नेता समाजवादी पार्टी को 27 मार्च, 2017 से नेता विरोधी दल के रूप में अभिज्ञात करने हेतु लिए गए निर्णय के लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक औचित्य के प्रश्न पर नवगठित विधान सभा विचार करे। उन्होंने यह भी कहा कि 1952 से अब तक गठित 17 विधान सभा में 1957, 1985 तथा 1997 में नेता विरोधी दल को अभिज्ञात करने का निर्णय नवगठित विधान सभा अध्यक्ष द्वारा ही लिया गया है जबकि शेष 14 विधान सभा में ऐसा नहीं किया गया जो कि विधिसम्मत नहीं था।  राज्यपाल ने अपने दूसरे संदेश में विधान सभा के सदस्यगण का ध्यान उच्चतम न्यायालय द्वारा कतिपय प्रकरणों में समय-समय पर प्रतिपादित किये गये सांविधानिक विधि की ओर आकृष्ट करते हुये कहा था कि यदि पूर्व में कतिपय प्रकरणों में कुछ निर्णय संविधान अथवा विधि के प्रतिकूल लिया गया हो तो इस प्रकार के असांविधानिक/अविधिक निर्णय को पुनः असांविधानिक/अविधिक निर्णय लेने हेतु न तो अनुसरणीय दृष्टान्त के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है और न ही ऐसे दृष्टान्त को संविधान/विधि की भावना के विपरीत लिये गये निर्णय को वैध ठहराने हेतु ही प्रयुक्त किया जा सकता है। दो गलत निर्णय को मिलीकर एक उचित निर्णय नहीं माना जा सकता है । संविधान अथवा विधि के अन्तर्गत जो कार्य अथवा निर्णय प्रत्यक्ष रूप से नहीं किया जा सकता है उसे परोक्ष रूप से भी नहीं किया जा सकता है । ज्ञातव्य है कि 17 मार्च, 2017 को 16वीं विधान सभा का विघटन हो गया था तथा 22 मार्च, 2017 को राज्यपाल ने 17वीं विधान सभा हेतु प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त किया था। नयी विधान सभा की प्रथम बैठक 28 मार्च, 2017 को होनी थी परन्तु इससे पूर्व ही 16वीं विधान सभा के अध्यक्ष द्वारा 27 मार्च, 2017 को विधान सभा सदस्य एवं नेता समाजवादी पार्टी रामगोविन्द चैधरी को नेता विरोधी दल के रूप में अभिज्ञात किया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *