लखनऊ । ‘पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस’ ‘ज्ञान संसाधन केन्द्र’, सी.एस.आई.आर.-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के सी. आर. कृष्णामूर्ति सभागार में दिनांक 09.08.2018 को प्रात: 10:00 बजे मनाया गया। इस समारोह की अध्यक्षता संस्थान की मुख्य वैज्ञानिक, डॉ. (श्रीमती) पूनम कक्कड़ ने किया, जिन्होंने अपने संबोधन में ज्ञान संसाधन केन्द्र की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए मुद्रित किताबों के महत्व को समझाया और बताया कि मुद्रित किताबों को पढ़ने से ज्यादा समय तक विषय को याद रखा जा सकता है। समारोह के मुख्य वक्ता डॉ. ज्ञानेन्द्र मिश्रा, वित्त एवं लेखा नियंत्रक, सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ थे, जिन्होंने अपने व्याख्यान में सी.एस.आई.आर. के नेशनल नॉलेज रिसोर्स कनसारसियम (एन.के.आर.सी.) प्रोजेक्ट के अपने अनुभवों को साझा किया और ‘ओपन एक्सेस पॉलिसी’ का समर्थन किया। डॉ. मिश्रा ने बताया कि भारत के वैज्ञानिक सबसे ज्यादा, लगभग 50 प्रतिशत, एलजेवियर (Elsevier) में अपना शोध पत्र छापते हैं। विज्ञान के क्षेत्र में एलजेवियर (Elsevier) सबसे बड़ा जर्नल प्रकाशक है।
उन्होंने यह भी बताया कि शोध का पैसा जनता से आता है और जनता को शोध पत्र बिना किसी मूल्य के यानी मुफ्त में पढ़ने को मिलना चाहिए। इसे ओपन एक्सेस पॉलिसी के नाम से जाना जाता है और आज बहुचर्चित है।
समारोह के प्रारम्भ में श्री राकेश सिंह बिसेन, प्रमुख, ज्ञान संसाधन केन्द्र ने भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक एवं नेशनल रिसर्च प्रोफेसर डॉ. एस. आर. रंगनाथन का परिचय प्रस्तुत किया, जिनका जन्म 9 अगस्त, 1892 में तमिलनाडु में हुआ था। उन्हीं की याद में 9 अगस्त को ‘पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस’ मनाया गया। डॉ. एस. आर. रंगनाथन को भारत सरकार ने ‘पुस्तकालय विज्ञान’ में उनकी बहुमूल्य सेवाओं के लिए 1957 में ‘पद्मश्री से सम्मानित किया था।