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पुलिस कस्टडी में मारे गए हैं कई अपराधी

किसी की जेल में हत्या तो किसी को बीच सड़क पर मार दी गई गोली
कोर्ट कचहरी में ऐसी वारदात लगा रही प्रश्न चिन्ह
सुरक्षा व्यवस्था पर उठती है उंगली लेकिन हो जाती पुनरावृत्ति
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सिविल कोर्ट में अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की कल बुधवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई।कोर्ट कचहरी में ऐसी वारदात व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा रही हैं। घटना ने फिर अतीक अहमद और अशरफ की हत्या चर्चा में ला दी है। कल की घटना पहली नहीं है, इससे पहले भी कई वारदातों ने लोगों को सोचने पर मजबूर किया है। केवल इन्हीं तीनों बदमाशो का हश्र ऐसा नहीं हुआ है,कई और शिकार बने हैं। बीते पांच सालों में यूपी में ऐसे कई मामले सामने आये हैं, जिनमें कुख्यात अपराधियों की न्यायिक हिरासत में हत्या हो गई। कल की घटना लखनऊ सिविल कोर्ट की है। पश्चिमी यूपी के कुख्यात अपराधी 50 वर्षीय संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की कल बुधवार को पेशी थी। जीवा माफिया मुख्तार अंसारी का बेहद करीबी गैंगस्टर था। हमलावर वकील के कपड़े पहनकर आया और मजिस्ट्रेट के सामने जीवा पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी। हमले में दो पुलिसकर्मी, एक डेढ़ साल की बच्ची व उसकी मां को भी गोली लगी है। मौके पर मौजूद वकीलों ने आरोपी को दौड़ाकर पकड़ लिया। अब देखिए, वकीलों ने पकड़ लिया पुलिस ने नहीं। जीवा को भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में आजीवन कारवास की सजा मिली थी। वह मूल रूप से मुजफ्फरनगर के शाहपुर आदमपुर का रहने वाला था। पिछले बीस साल से वह जेल में बंद था। उसपर करीब दो दर्जन केस दर्ज हैं। इसके अलावा बीते 15 अप्रैल को यूपी के सबसे बड़े माफियाओं में शुमार अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को रिमांड में लेकर यूपी एसआईटी पूछताछ कर रही थी। हर रोज दोनों का मेडिकल भी होता था। 15 अप्रैल की रात मेडिकल कराने के लिए पुलिस की टीम दोनों को लेकर अस्पताल पहुंची,जहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने उन्हें घेर लिया। अतीक और अशरफ मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस बीच मीडियाकर्मी बनकर पहुंचे तीन हमलावरों ने दोनों पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। कई राउंड फायरिंग की और मौत के घाट उतार दिया। अतीक-अशरफ पर हत्या, लूटपाट, कब्जा, अपहरण जैसे कई मामले दोनों पर चल रहे थे। और पीछे जाइये, जेल में मुन्ना बजरंगी को मारा गया।मुन्ना बजरंगी के नाम से एक समय पूरा यूपी कांपता था। इसका अंत भी उसी तरह हुआ। मुन्ना को 2018 में बागपत जेल के अंदर गोलियों से भून दिया गया था। मुन्ना का पूरा नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। मुन्ना बजरंगी का जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। मुन्ना को हथियार रखने का शौक था। वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। 17 साल की उम्र में उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। इसके बाद उसने जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दबदबा बनाया। पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। पूर्व भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी मुन्ना बजरंगी का नाम था। इस हत्याकांड के बाद से ही मुन्ना मोस्ट वॉन्टेड बन गया था।29 अक्तूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में गिरफ्तार कर लिया था। तबसे उसे अलग अलग जेल में रखा जा रहा था। 2018 में झांसी से बागपत जेल में शिफ्ट किया गया, जहां उसी साल जेल में ही गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। आठ पुलिसकर्मी शहीद हुए, फिर मारा गया कुख्यात बदमाश विकास दुबे ,यह घटना अभी भी सबके जेहन में है।तीन जुलाई 2020 को कानपुर के बिकरू गांव में पुलिस की टीम कुख्यात बदमाश विकास दुबे को पकड़ने गई। विकास दुबे और उसगे गुर्गों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया। इसमें आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए। विकास दुबे और उसके गुर्गे फरार हो गए। पुलिस ने विकास के तीन सहयोगियों का एक के बाद एक एनकाउंटर किया। इसके बाद विकास दुबे को नौ जुलाई 2020 को उज्जैन महाकाल से गिरफ्तार कर लिया गया। यूपी की पुलिस उसे वापस कानपुर ला रही थी।गाड़ी पलट गई। पुलिस के मुताबिक विकास दुबे ने पुलिसकर्मी का बंदूक छीनकर भागने की कोशिश की पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया। इसके अलावा जेल में मुख्तार के करीबी और पश्चिमी यूपी के बड़े बदमाश को मार डाला गया। मई 2021में चित्रकूट जेल में कई कुख्यात बदमाश बंद थे। इन्हीं में बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी मेराज और पश्चिमी यूपी का गैंगस्टर मुकीम काला भी था। मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद मेराज मुख्तार का सबसे खास आदमी था। 2021 में मेराज,मुकीम के ही जेल में गैंगस्टर अंशु दीक्षित बंद था। अंशु ने मौका मिलते ही मेराज और मुकीम पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी। गैंगवार हुआ। मेराज और मुकीम की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने अंशु दीक्षित का भी जेल के अंदर ही एनकाउंटर कर दिया।पुलिस पांच साल में 190 से ज्यादा बदमाशों को ढेर कर चुकी है ।यूपी सरकार के आंकड़े गवाह हैं, 2017 से अब तक 10,720 एनकाउंटर हो चुके हैं। इनमें अतीक अहमद के बेटे असद अहमद, उसके गुर्गे गुलाम, अरबाज और उस्मान चौधरी जैसे 190 बदमाश ढेर हुए है। पिछले छह साल की बात करें तो बीते वर्ष पुलिस व बदमाशों के बीच मुठभेड़ का आंकड़ा सबसे कम है। 2018 में सर्वाधिक 41 अपराधी मारे गए थे।2017 में 28, 2019 में 34, 2020 में 26, 2021 में 26 व 2022 में 14 अपराधी मारे गए हैं। 2023 में अब तक 11 बदमाश मारे गए हैं। बीते छह वर्ष में पुलिस मुठभेड़ में 23 हजार से ज्यादा अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। एनकाउंटर के दौरान 12 पुलिसकर्मी शहीद और 1400 घायल हुए हैं।

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