Home > स्थानीय समाचार > परिषद का मिला समर्थन बड़ा आन्दोलन करेगें विशेष शिक्षक

परिषद का मिला समर्थन बड़ा आन्दोलन करेगें विशेष शिक्षक

12 वर्षो में नही बनी कोई नियमावली निदेशक के रहमोकरम पर विशेष शिक्षक
मुख्य सचिव के निर्देश पर भी नही भेजा प्रस्ताव,दस में से पाॅच मांगों पर बन चुकी सहमति लेकिन एक भी मांग पूरी नही
लखनऊ। भारत सरकार द्वारा दिव्याॅग बच्चों को शिक्षित, तकनीकी शिक्षा से परिपूर्ण कर उन्हे पुनर्वास देनेउद्देश्य से चलाई जाने वाली योजना उत्तर प्रदेश में बेहाल है। इन बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए तैनात विशेष शिक्षकों को उनके हक से लगातार वंचित किया जा रहा है। लगभग बारह वर्ष बीत जाने के बाद भी इन शिक्षकों की कोई नियमावली नही बनी। दस सूत्रीय मागों को लेकर वर्ष 2008 में आन्दोलन के फलस्वरूप तीन मांॅगों पर सहमति बनी थी लेकिन नौ वर्ष बीतने वाले है और अब तक कोई आदेश जारी नही किए गए। यही नही उत्तर प्रदेश विशेष शिक्षक एसोसिएशन के अनुरोध पर वर्ष 2016 में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष श्री हरिकिशोर तिवारी द्वारा पूर्व मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन से हुए पत्राचार के उपरान्त मुख्य सचिव द्वारा 21 जून 16 स्पष्ट रूप से सचिव बेसिक शिक्षा से रिसोर्स टीचर्स व इटिन्रेन्ट टीचर्स के समायोजन का प्रस्ताव मांगा गया जोे आज तक नही भेजा गया। यही नही राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी के नेतृत्व में राज्य परियोजना निदेशक से हुई वार्ता में रखी गई दस मांगांें में से पाॅच में सहमति बनी लेेकिन कोई आदेश जारी नही हुआ। यह जानकारी आज पत्रकारों को उत्तर प्रदेश विशेष शिक्षक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अनुज कुमार शुक्ला ने दी। इस दौरान पत्रकार वार्ता में उपस्थित राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष श्री हरिकिशोर तिवारी और महामंत्री श्री शिवबरन सिह यादव ने उत्तर प्रदेश विशेष शिक्षक एसोसिएशन की मांगों को जायज ठहराते हुए कहा कि जब समान कार्य है समान वेतन और अन्य सुविधाए विशेष शिक्षकों का हक बनता है। परिषद विशेष शिक्षकों के आन्दोलन का समर्थन करेगा। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में एसोसिएशन के अध्यक्ष अनुज कुमार शुक्ला ने कहा कि हाल ही में जो वार्ता परिषद के बैनर तले राज्य परियोजना निदेशक साथ हुई थी उसमें जो तय हुआ था उसे बाद में बदल कर विशेष शिक्षको को दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। 12 जनवरी 17 को तय हुआ था कि आई.टी/आर.टी.का मानदेय 13.200 प्रतिमाह से बढ़ाकर 18.000 रूपये प्रतिमाह कर दिया जाएगा। इसके लिए बाकायदा जनपदो में कार्डशीट भेज दी गई तथा जनपदों द्वारा रूपये 18.000 प्रतिमाह की दर से प्रस्ताव निदेशक राज्य परियोजना को भेज दिया गया। लेकिन बाद में इसे घटाकर 14.500 रूपये प्रतिमाह कर दिया गया। एक तो 12 में से 11 माह की संविदा दूसरे इस तरह की घोखाधड़ी ने प्रदेश में वर्तमान समय में विशेष शिक्षक के रूप मे कार्य कर रहे 2000 से अधिक शिक्षकों को दोराहे पर खड़ा कर दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशको को 8400 रूपये मानदेय बढ़ाकर सीधे 17.000 हजार रूपये प्रतिमाह कर दिया गया है। उन्होंने इस दौरान अपनी मांगों की जानकारी देते हुए कहा कि हमारी दस सूत्रीय मुख्य मांगो में सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत कार्यरत रिसोर्स व इन्टीनरेन्ट अध्यापकों की नियमावली बनाकर इन्हें नियमित किया जाए। जब तक नियमितीकरण नही हो पा रहा है तब तक रिजवी समिति की वेतन संस्तुतियों के आधार पर पारित शासनादेश के मुताबिक वेतन दिया जाए। नवीनीकरण के नाम पर हो रहे शोषण को रोकते हुए कस्तूरबा गाॅधी विद्यालयों के शिक्षकों के अनुसार 12 माह का वेतन दिया जाए। महिला विशेष शिक्षकों को प्रसूतावकाश दिया जाए। समस्त विशेष शिक्षकों को चिकित्सकीय/ प्रिवलेज अवकाश, यात्रा भत्ता (वास्तविक व्यय के अनुसार) दिया जाए। आईटी/आरटी की उपस्थिति विद्यालय के प्रधानाचार्य से सत्यापित कराई जाए। रिसोर्स एवं इटिरेंट टीचर्स को तत्काल सामाजिक सुरक्षा में लाते हुए उन्हें ईपीएफ एवं ईएसआई सुविधा से संतृप्त किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर इन मांगों पर सरकार सकारात्मक रूख नही अपनाती है तो वह परिषद के बैनर तले श्री योगी सरकार के सौ दिन पूरे होते ही आन्दोलन को बाध्य होगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *