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परिषद की कई मांगों पर शासन का सकारात्मक रूख

अपर मुख्य सचिव कार्मिक ने 15 दिनों में तलब की रिपोर्ट
लखनऊ,(यूएनएस)। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रतिनिधि मड़ल और अपर मुख्य सचिव कार्मिक के मध्य हुई वार्ता में कई मांगों पर शासन का सकारात्मक रहा। अपर मुख्य सचिव ने परिषद की कई मांगों पर सम्बंधित विभागों से 15 दिनों में रिपोर्ट तलब करने के तत्काल निर्देश दिए। अपर मुख्य सचिव, कार्मिक देवेश चतुर्वेदी के साथ न्याय, चिकित्सा, पंचायती राज, वित्त, शिक्षा आदि के विभागीय अधिकारीगण तथा परिषद के शिष्ट मण्डल में अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी, महामंत्री शिवबरन सिंह यादव, का. अध्यक्ष इं. एन.डी. द्विवेदी अपर महामंत्री डा. नरेश कुमार वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेम कुमार सिंह उपाध्यक्ष संतोष तिवारी द्वारा बैठक में प्रतिभाग किया गया। बैठक में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उ.प्र.की कर्मचारी समस्याओं के निस्तारणार्थ बैठक अपर मुख्य सचिव कार्मिक श्री देवेश चतुर्वेदी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में उपरान्त परिषद के शिष्ट मण्डल द्वारा बताया गया कि परिषद के मांग-पत्र पर विभागवार संवर्गो की सेवा सम्बन्धी समस्याओं पर विस्तार से विचार मंथन किया गया। विभागीय विवाद समाधान फोरम को क्रियाशील बनाने में न्याय विभाग के अधिकारियों के साथ न्यायालयी प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण के उपायो पर विचारध्विशर्म किया गया, अप्रैल, 2005 से पूर्व विज्ञापित किन्तु बाद में सेवा में आने वाले शिक्षकों एवं कर्मचारियों को केन्द्रीय सेवा की भांति पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित किये जाने पर वित्त विभाग के अधिकारियों के मंत्रण हुई तय हुआ कि महानिदेशक बेसिक शिक्षा के विस्तृत चर्चा के उपरान्त अग्रिम कार्यवाही किये जाने पर सहमति बनी। पंचायती राज सफाई कर्मचारियों की सेवा नियमावली बनाये जाने तथा तीन पदोन्नति पर गहन विचार विमर्श के उपरान्त पंचायती राज विभाग को विचार कर पुनः प्रस्तुतीकरण पर सहमति बनी, कैशलेस चिकित्सा व्यवस्था का लाभ प्रदेश भर में एक समान दिलाये जाने, भुगतान आदि पर विलम्ब पर चिकित्सा विभाग को निर्देशित किया जायेगा। अंशदायी पेंशन व्यवस्था के अन्तर्गत सेवानिवृत्त सरकारी सेवकोंध्शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा व्यवस्था के अन्तर्गत लाने हेतु चिकित्सा विभाग को समयबद्ध कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया। मुख्य के बार-बार निर्देशों के उपरान्त भी विभागीय अधिकारियों द्वारा नियमित बैठके न करने पर गहरी चिन्ता व्यक्त की गई। पुनः मुख्य सचिव स्तर से 15 दिनों के भीतर बैठके करके रिपोर्ट मांगे जाने पर सहमति बनी। रोके गये भत्तों आदि पर विचार विमर्श कर शीघ्र निर्णय का आश्वासन दिया गया।

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