लखनऊ। पिछले कई वर्षों से राजधानी लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना राजधानीवासियो को काफी जोर-शोर से दिखाया जा रहा है। इस दिशा में सरकार और प्रशासन काफी जोर शोर से प्रयास भी कर रहा है। पुरानी अच्छी-भली इण्टरलॉकिग टाइलों को हटाकर जबरदस्ती नयी टाइलों को लगाया जा रहा ह। महीनों से खुदी पड़ी सड़ी सड़के आदि किये जा रहे विकास कार्यों की गवाहियां भी दे रही है। परन्तु सच्चाई ठीक इसके विपरीत है जो नगर निगम, जलकल विभाग और जिला प्रशासन की पोल खोल रही है। जो नगर निगम और स्मार्ट सिटी प्रबन्धन अभी तक नालों की सफाई ही नहीं करवा पाया है वह स्मार्ट सिटी क्या बना पायेगा? जो जिला प्रशासन नालों की सफाई नहीं करवा पा रहा है, नालों के किनारे अवैध कब्जा कर रह रहे अवैध बाग्लादेशियों और राहिग्याओ की बस्तियों को नही हटवा पा रहा हो, राजधानी को स्मार्ट सिटी क्या बनवा पायेगा? स्मार्ट सिटी के दावों की पोल खोलने के लिये शहर का मात्र एक छोटा सा नाला ही काफी है। जबकि ऐसे दृश्य शहर के प्रत्येक वार्ड में दिखायी देगें। जोन-2 के राजेन्द्र नगर वार्ड के दुगांवा पुलिस चौकी के सामने स्थित नाला गंदगी से पटा पड़ा है जिस पर कोई भी पैदल चलकर पार कर सकता है। इसकी वर्षों से सफाई ही नही हुयी है। नगर निगम कागजों पर इसकी सफाई करवा कर अपने कर्तव्यो को पूरा कर दता है। नगर आयुक्त, महापौर के साथ-साथ स्थानीय भाजपा पार्षद भी कभी यहां का निरीक्षण करने नहीं आये है। स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर करोड़ों रूपये कहां खर्च हो रहे है यह देख कर वोट देने वाली जनता अपने को ठगा सा महसूस कर रही है कि क्या स्मार्ट सिटी ऐसी ही होती है।