ब्रजेश और दयाशंकर ने लिखी थी राजभर की एनडीए में वापसी की पटकथा
लखनऊ। मिशन लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर जोड़तोड़ और गठबंधन की दिशा में पक्ष और विपक्ष दोनों की गतिविधियां तेज हो गईं हैं। चुनाव में भले ही अभी समय है लेकिन जो सियासी सक्रियता दिख रही है, उससे लगता है कि हर दल चुनावी मोड में है। लखनऊ से दिल्ली तक गुणा भाग शुरू है। विपक्ष डाल डाल तो सत्तारूढ़ बीजेपी पात पात नजर आ रही है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी चीफ ओम प्रकाश राजभर की लोकसभा चुनाव के पहले एनडीए में वापसी हो गई है। दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में सुभासपा प्रमुख राजभर ने अपने बेटे अरुण राजभर के साथ घर वापसी की लेकिन इस पूरे प्रकरण में योगी सरकार के दो शख्सियत सूत्रधार रहीं। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की देन कह दे तो गलत नहीं होगा। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और मंत्री दयाशंकर सिंह वो दो शख्स हैं, जिन्होंने भाजपा और सुभासपा के बीच पुल का काम किया। बीते 3 जुलाई को राजभर और शाह के बीच दिल्ली में हुई मुलाकात का प्रबंध उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने किया था।
बैठक में अमित शाह और ओपी राजभर के बीच गठबंधन की रूपरेखा तय की गई और फिर उसके एक हफ्ते के बाद ओपी राजभर ने गजीपुर के जखनिया से सुभासपा के विधायक बेदी राम के साथ ब्रजेश पाठक से लखनऊ स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। बैठक में राजभर ने ब्रजेश पाठक से एनडीए वापसी के लिए श्हांश् कहा और श्री पाठक ने अमित शाह के पास राजभर का ग्रीन सिग्नल भेजा। छह दिन बाद अमित शाह ने ओपी राजभर को दिल्ली बुलाया गया और बैठक के कुछ दिनों बाद भाजप-सुभासपा के बीच औपचारिक गठबंधन का ऐलान हुआ। ओपी राजभर दिल्ली के होटल अशोक में होने वाली एनडीए घटक दलों की बैठक में बतौर घटक दल हिस्सा लेंगे। ब्रजेश पाठक और दयशंकर सिंह विधानसभा चुनाव 2022 के बाद से लगातार ओपी राजभर के संपर्क में थे। ब्रजेश पाठक अक्सर ओपी राजभर के साथ मुलाकात में उन्हें भाजपा से हाथ मिलाने का न्योता देते रहते थे। ओपी राजभर और ब्रजेश पाठक के बीच श्गहरी दोस्तीश् है। राजभर के एनडीए में आने के संकेत उसी समय से मिलने लगे थे, जब राजभर और पाठक मई में विधान परिषद चुनाव में वोट डालने के लिए एक साथ विधानसभा परिसर पहुंचे और फिर वोट देने के बाद एक ही कार में निकल गए। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह का रोल भी राजभर को दोबारा एनडीए में लाने में कम नहीं है। दयाशंकर सिंह भी 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद से लगातार प्रयास कर रहे थे कि ओपी राजभर सपा खेमा छोड़कर भाजपा के साथ आ जाएं। दयाशंकर सिंह मंत्री होते हुए इस साल मार्च में चाय पीने के लिए सीधे ओपी राजभर के आवास पर चले गये थे। दयाशंकर सिंह वह व्यक्ति थे, जिन्होंने 2017 के यूपी चुनाव में भाजपा सुभासपा को मंच पर लाने में भूमिका अदा की थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने चार सीटें जीतीं। योगी मंत्रिमंडल में ओपी राजभर को भी जगह दी गई थी लेकिन बाद में उन्होंने योगी सरकार से इस्तीफा देते हुए भाजपा से नाता तोड़ लिया था।