अवध की आवाज़
लखनऊ। एक तरफ मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ का अवैध निर्माणों पर सख्त रुख दूसरी ओर लविप्रा उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी की सख्त कार्य शैली के चलते भी प्राधिकरण के अवर अभियंता सत्यवीर सिंह व सहायक अभियंता अवधेश सिंह व जोनल अधिकारी प्रिया सिंह के संरक्षण में प्रवर्तन जोन 1 में नियम विरुद्ध आवासीय भूखंड 46 व 47, विकास खंड, गोमतीनगर, लखनऊ पर व्यावसायिक्त निर्माण रातों रात हो रहा है। जानकारी मिली है कि उक्त नियम विरुद्ध निर्माण को उ0प्र0 शहरी विकास व नियोजन अधिनियम 1973 के तहत विभिन्न धाराओं में कार्य वही कर तत्कालीन अवर अभियंता सुभाष चंद ने उक्त नियम विरुद्ध निर्माण को सील किया था। अवध की आवाज के प्रतिनिधि से मिली जानकारी के अनुसार उक्त नियम विरुद्ध निर्माण की मानकों को दर किनारे कर कंपाउंडिंग (शमन प्रक्रिया) की गई है । आवासीय भखण्ड दिखाकर की गई शमन प्रक्रिया के बावजूद व्यावसायिक्त नियम विरुद्ध निर्माण करवाया जा रहा है जिसमें प्राधिकरण के उक्त प्रवर्तन अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। निजी स्वार्थ में प्राधिकरण के उक्त अधिकारी इतने बेलगाम हो गए है कि उन्हें भविष्य में उक्त नियम विरुद्ध निर्माण में जनता के साथ होने वाले हादसों के बारे में कोई अंदाजा नही है कि भविष्य में उनकी इस गैर जिम्मेदारना कृत्य से कितने लोगों को दुर्घटनाओं का शिकार होना पड़ सकता है। क्या खनन विभाग से बर्समेंट की मिट्टी के खनन के लिए अनुमति ली गयीं है । नियम विरुद्ध शमन प्रक्रिया के समय अशमनीय भाग को शपथ पत्र में दी गयी शर्तानुसार अभी तक ध्वस्त किया गया हैं ? नही किया गया है तो रातों रात उक्त नियम विरुद्ध निर्माण को प्राधिकरण के उक्त प्रवर्तन अधिकारियों के संरक्षण में निर्माण किस आधार पर निरंतर हो रहा है। अखिर यह प्राधिकरण के गैर जिम्मेदार अधिकारी अपने कौन से निजी स्वार्थ वश नियमों को तोड़ मरोड़कर नियम विरुद्ध निर्माण कर्ताओं के साथ दुरभि संधि के चलते अवैध निर्माण कराकर भोली भाली जनता के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे और अवैध निर्माण पर समय समय पर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा किये गए आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए ये उक्त प्राधिकरण के अधिकारी शासन प्रशासन को भी नजरंदाज करते रहेंगे ? अब गौर तलब बात तो यह है कि लविप्रा के उच्चाधिकारी जो हमेशा कार्यवाही के नाम पर संशय के दायरे में रहे हैं उक्त नियम विरुद्ध निर्माण को संरक्षण देने वाले उक्त प्रवर्तन अधिकारियों के विरुद्ध क्या विभागीय कार्यवाही करते है ?