लखनऊ । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर 30 जनवरी को राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान शुरू किया गया था। यह अभियान 13 फरवरी तक चला। इस वर्ष अभियान की थीम “कुष्ठ के विरुद्ध- आखिरी युद्ध” रखी गयी थी । इस दौरान कुष्ठ रोगी खोज अभियान भी चलाया गया।
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डा. अम्बुज सिंह ने बताया इस अभियान के तहत जिले के 805 गांवों में से 658 गाँव कवर किये गए। विभाग द्वारा सभी ग्राम प्रधानों के साथ कुष्ठ रोग जागरुकता के सम्बन्ध में बैठक की गयी व पम्पलेट बांटे गए।
इस काम में आशा व एएनएम का भी सहयोग लिया गया। शहरों व गाँवों में विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की गयीं | शहरी क्षेत्र के 99 व ग्रामीण क्षेत्र के 348 प्राइमरी स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम चलाये गए।
जिला कुष्ठ रोग कंसलटेंट डा. शोमित ने बताया – अभियान के दौरान कुल 81.7 प्रतिशत क्षेत्र कवर किया गया और इस अभियान में छह कुष्ठ रोगी मिले हैं जिनका इलाज शुरू हो चुका है।
क्या होता है कुष्ठ रोग ?
कुष्ठ रोग मायकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होता है। यह एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है। इसमें त्वचा पर हल्के रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, जो कुष्ठ रोग की शुरुआती पहचान हैं। यह कुष्ठ रोग ग्रसित व्यक्ति के जीवाणु द्वारा फैलता है , जो संक्रमित व्यक्ति के खाँसने, छींकने और थूकने से स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है। यदि समय से उपचार शुरू कर दिया जाये तो कुष्ठ रोग पूरी तरह से मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) द्वारा ठीक किया जा सकता है। प्रदेश में सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर एमडीटी मुफ्त उपलब्ध है ।
डॉ. शोमित ने बताया – इसका कोई प्रमाण नहीं है कि यह आनुवांशिक होता है। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत गैर सरकारी संगठनों सहित सामान्य स्वास्थ्य प्रणाली के माध्यम से प्रत्येक वर्ष चिन्हित किए गए सभी मामलों में उपचार निःशुल्क प्रदान किया जाता है। कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है ।