स्वयंसेवी संस्थाओं ने संगोष्ठी का आयोजन किया
रंजीव ठाकुर
लखनऊ । राजधानी की विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा बुधवार को प्रेस क्लब में गरीबों के लिये खाद्य सुरक्षा, रोजगार तथा बिना शर्त मातृत्व हक की चुनौतियां विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया । परिचर्चा में रोजी-रोटी अधिकार अभियान, हेल्थवॉच फोरम, महिला स्वास्थ्य अधिकार मन्च उ०प्र० ने प्रमुख रूप से भाग लिया । हेल्थवॉच फोरम के प्रवेश वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री के वक्तव्य में ये कहा गया कि सभी असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं को 6000 रुपये मातृत्व भत्ता दिया जाएगा जिसको की 1 जनवरी 2017 से लागू करने की बात कही थी परंतु इस योजना के लिए केंद्रीय वार्षिक बजट आवंटित धन 2,700 करोड़ है जबकि औसतन प्रतिवर्ष 2.7 करोड़ से ज्यादा प्रसव भारत में होते है। इस प्रकार ये बजट अत्यधिक कम है और इस कारण माननीय प्रधानमंत्री जी को अपने हाथ पीछे करने पड़े।
मजदूर संगठन की रिचा ने बताया की मनरेगा महात्मा ग़ांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम” की स्थिति पिछले 1 साल से बहुत ही खराब रही है। कहीं काम नहीं मिल रहा है तो कहीं मजदूरी का पैसा नहीं मिल पा रहा है पर केंद्र सरकार का कहना है कि उन्होंने बजट बढ़ाया है जो वित्तीय वर्ष 2016 17 में 47499 करोड रुपए की तुलना में वित्तीय वर्ष 2017 16 में 48000 करोड रुपए किया गया जो कि जरूरत के हिसाब से बहुत ही कम है।
एपवा से ताहिरा हसन ने बताया कि वर्तमान समय में सामाजिक सुरक्षा का स्वरूप बहुत ही बदल गया। सरकारें अपने ही बनाए कानून का पालन नहीं करते हैं इन्हीं सब का परिणाम है कि स्वास्थ्य रोजगार वह अलग ही हाल ही में रह संशोधित मातृत्व लाभ अधिनियम जिससे मातृत्व अवकाश 17 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह तक संशोधित किया गया है जो कि एक स्वागत योग्य कदम है ।
रोजी रोटी अधिकार अभियान उत्तर प्रदेश से सुनीता ने बताया कि मातृत्व स्वास्थ्य व अधिकारों को लेकर प्रदेश के 7 जिले की महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की महिलाओं ने स्वास्थ्य हक को बिना शर्तो के देने हेतु करीब 1000 पोस्टकार्ड डाले गए हैं और जिले स्तर पर मीडिया के साथ में मिलकर बिना शर्त मातृत्व हक की बात की जा रही है इसी कड़ी में आज दिल्ली में राष्ट्रीय अभियान के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।