लखनऊ | किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाॅम सेण्टर में भगिनी निवेदिता की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक संगोष्ठी का आयोजन विवेकानंद केन्द्र, कन्याकुमारी ब्रांच और केजीएमयू के सहयोग से किया गया। उपरोक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो0 एस0पी0 सिंह, कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो0 एम0एल0बी0 भट्ट, कुलपति, किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ उपस्थित रहे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अश्वनी कुमार, संगठन सचिव, विवेकानंद केन्द्र ने कहा आज हम भगिनी निवेदिता की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में यहां एकत्रित हुए है। भगिनी निवेदिता का नाम मागे्र्रट नोवेल था वह 17 वर्ष की आयु में शिक्षिका बन गई थी। भगिनी निवेदिता का स्वामी विवेकानंद से प्रथम मुलाकात 1893 में अमेरिका के शिकागों में विश्व धर्म महासभा मे हुई थी। ये स्वामी जी के साथ कुछ समय के मुलाकात में ही उनसे इतना प्रभावित हो गई की उन्होने ने भारत आने की इच्छा जाहिर कर दिया। तब स्वामी जी ने उनसे कहा कि मै तुम्हे केवल भारत माता की सेवा के लिए ही भारत आने का न्योता दे रहा हू। स्वामी विवेकानंद जी ने भगिनी निवेदिता को पाच अक्ष़्ारों का एक मंत्र दिया वो था ‘‘भारत माता’’। भगिनी निवेदिता जब भारत आई तो उनके द्वारा भारत की सेवा में अपना सर्वस्व झोक दिया गया। वो लोगो की सेवा अपनेपन की भाव से करती थी। जब भारत में प्लेग महामारी की तरह फैल हुआ था तो उनके द्वारा नालों की सफाई आदि भी खुद हाथ में झाडु लेकर किया जाता था। रविन्द्र नाथ टैगोर ने भारत माता का जो चित्र बनाया है वो भी भगिनी निवेदिता के प्रेरणा से ही बनाया है। भगिनी निवेदिता द्वारा भारत में अंग्रेजो द्वारा किये जाने वाले अत्याचारो के विरोध में भी कई बार अवाज उठाई गई थी। इस प्रकार भगिनी निवेदिता भारत वंशी न होकर भी जो सेवा उन्होने भारत और भातवासियों कि की है, वो अतुलनीय है।
कार्यक्रम में प्रो0 एस0पी0 सिंह ने कहा कि आज जिसे हर कोई इतना याद कर रहा वो कोई साधारण व्यक्ति या महिला नही हो सकती है। भगिनी निवेदिता ने जो इस देश के लोगों की सेवा की है, वो अनुकरणीय है। उन्होनंे सभा मे उपस्थित छात्रों से कहा कि आप सब का व्यवसाय ऐसा है जहां हर कोई दुखी आदमी ही आपके पास आता हैं आप सब उन मरीजो की सेवा कर उनको श्रद्धांजली दे सकते है। आप सब 10-12 लोगो का दल बनाकर भगिनी निवेदिता के विचारों के उपर मंथन करे और उनके आदर्शो को जनमानस तक ले जाने की लिए प्रयास करेगा तो निश्चय ही भारत का अभ्युदय फिर से होगा है। कार्यक्रम में प्रो0 विनोद जैन,अधिष्ठाता पैरामेडिकल संकाय, केजीएमयू ने उपस्थित छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप सब मे से प्रत्येक स्वामी विवेकानंद और भगिनी निवेदिता की तरह बन सकते है। बस जरूरत है तो कुछ कर गुजरने की आप सब अपने कार्य को लगन से अंजाम दे मन में सेवा भाव लियें।