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कमजोरों, मजलूमों और असहायों की मदद करना ही बहादुरी है: आफाक

लखनऊ। राष्ट्रीय सामाजिक कार्य कर्ता संगठन के संयोजक मो आफाक ने जारी अपने बयान में कहा कि अपने ही देश में बाबरी मस्जिद की शहादत पर अफसोस मनाने वालों के खिलाफ वो भी बंद कमरे में कानूनी कार्रवाई की जा रही है। वहीं दूसरी ओर सांप्रदायिक ताकतें बाबरी मस्जिद के विध्वंस का जश्न मना रही थीं। और इसी मौके पर शौर्य दिवस भी मनाया जा रहा था.हम सभी दिग्गजों को सलाम करते हैं लेकिन हम जानना चाहते हैं कि वीरता किसे कहा जाए. क्या यह वीरता है कि कुछ लोग तलवार लेकर बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार करते हैं? और उसकी तीन साल की बेटी को मार दिया जाए? क्या यही बहादुरी है कि एक पुरानी और जर्जर मस्जिद को गिराने के लिए हजारों लोग इकट्ठा होते हैं? क्या गोमांस के नाम पर अखलाक नाम के व्यक्ति को उसके घर में घुसकर मारना बहादुरी है? कि फ्रिज में गोमांस है? दरअसल, वह गोमांस को साबित भी नहीं कर सके। इसी तरह जुनैद, पहलू खान, बेबी आसिफा समेत कई ऐसे मामले हैं, जिनके बारे में बताया जाए तो लोगौन के रोंगटे घड़े हो जाते हैं। अंत में मोहम्मद अकाक ने कहा कि अगर इसे बहादुरी माना जाए तो मैं इसका विरोध करता हूँ और करते रहूँगा, क्योंकि यह संविधान के खिलाफ है। संविधान और हमारे पूर्वजों ने हमें बहादुरी सिखाई है की किसी पर अत्याचार हो रहा हो, किसी की मासूमियत लूटी जा रही हो, धन छीना जा रहा हो, कमजोरों पर अत्याचार हो रहा हो या किसी पर जानलेवा हमला किया जा रहा हो तो अपनी बहादुरी दिखाएं और अपनी जान-माल की परवाह किये बगैर उन की मदद के लिए आगे आयें।

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