लखनऊ। पुराने लखनऊ के हुसैनाबाद की बात करे तो यह हेरीटेज जोन है। यहां कई ऐतिहासिक इमारतें हैं। यहां अब भी कई नवाब रहते है। इतना ही नहीं यहां अक्सर वीआईपी मूंवमेंट रहता है। खास बात यह है कि राजनाथ सिंह इस नवाबी शहर के सांसद हैं और बीजेपी सरकार के विधायक भी इसी क्षेत्र से तालुक रखते है। यहां तक क्षेत्र की पार्षद के पति कब्बन नवाब भी बीजेपी से तालुक रखते हैं। बावजूद इसके हेरीटेज जोन हुसैनाबाद के कल्बे आबिद मार्ग पर बना आधुनिक कूड़ा घर लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है। यहां बने हाल ही में आधुनिक कूड़ाघर बनाया गया था। जिसेी हालत बद् से बद्तर हो गयी है। कूड़ा घर का गेट टूटा हुआ है। उस पर पड़ी टीन शेड भी टूट चुकी है। यहां बने कूड़ा घर पर सफाई कर्मी सड़क पर कूड़ा डालते हैं, उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। कूड़े घर पर सुबह से देर रात तक आवारा जानवर के झुण्ड जमा रहते हैं। अक्सर आवारा जानवरों की आपस में भिड़त से राहगीर भी घायल होते हैं। मगर नगर निगम के अधिकारी जानबूझकर अंजान बने हुए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत पुराने लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों का पूरी तरह कायाकल्प भले कर दिया हो मगर हेरीटेज जोन हुसैनाबाद में सुविधाओं के नाम पर क्षेत्र की जनता को सिर्फ धोखा मिला है। इससे क्षेत्रीय लोगों में पूर्व सरकार और मौजूदा बीजेपी सरकार से बेहद नाराजगी है। पुराने लखनऊ के हुसैनाबाद हेरिटेज जोन के तहत आने वाले ऐतिहासिक स्थलों छोटा इमामबाड़ा, सतखंडा, घंटाघर, हुसैनाबाद बारादरी, हुसैनाबाद संग्रहालय, कुडिय़ा घाट, रूमी दरवाजा, बड़ा इमामबाड़ा, शाही तालाब आदि जगहों का लखनऊ विकास प्राधिकरण ने रेनोवेशन किया है जिसके बाद इस पूरे इलाके का हुलिया ही बदल गया है। ऐतिहासिक इमारतों के रंग-रोगन के साथ उन्हें खूबसूरत लाइटों से सजाया गया है तो कोबाल पत्थरों की चौड़ी सड़कें बनाकर पर्यटकों को इलाके का इंटरनेशनल लुक देकर लुभाने की कवायद भी की गयी है। करीब एक किमी के दायरे में स्थित हर ऐतिहासिक इमारत जहां दिन में पर्यटकों को अपनी भव्यता से रू-ब-रू करा रही है, वहीं रात में रंगीन लाइटों की आभा उनकी खूबसूरती में चार चांद लगाकर लोगों को पुराने लखनऊ के नये अंदाज का नजारा भी दे रही है। इतना ही नहीं पुराने लखनऊ में हेरिटेज वॉक का शानदार अनुभव कराने के लिए चार किमी लंबा जॉगिंग ट्रैक बनाया गया है। इसके जरिये इलाके की सभी ऐतिहासिक इमारतों को आपस में जोड़ दिया गया है। वहीं पूरे इलाके की सड़कें कोबाल स्टोन से बनायी गयी हैं। इस तरह की सड़कें अभी तक यूरोप के ऐतिहासिक शहरों में भी देखने को मिलती थी। घंटाघर पर सिलिकॉन का कोट चढ़ाया गया ताकि बदलते मौसम का असर इमारत पर न पड़े। इसके अलावा घंटाघर तालाब में स्पेशल फाउंटेन भी लगाया गया है। इसके अलावा आठ कमरों का कम्युनिटी सेंटर भी बनाया गया है। इसमें हॉल और पार्किंग की सुविधा भी दी गयी है। इन सब सुविधाओं के बावजूद साफ-सफाई, कूड़ाघर, शौचालय जैसी सुविधांए नाराद हैं। हुसैनाबाद स्थित ऐतिहासिक जामा मस्जिद और युनिटी कालेज के सामने का कूड़ा घर पूरे इलाके के लोगों के लिए बिमारी की जड़ बना हुआ है। यहां कूड़ा घर की वजह से अक्सर जाम की समस्या बनी रहती है। इतना ही नहीं हल्की सी बारिश के बाद राहगीर कूड़े पर दोपहिया वाहन चलाते समय गिर कर चोटिल भी हा जाते हैं। यहां अक्सर कूड़ा घर की वजह से दुर्घटनाएं होती रहती हैं। अक्सर यहां वीआईपी मूवमेंट के दौरान नगर निगम के अधिकारी व्यवस्था दुरूस्स कर लेते हैं, जिससे कि उनकी नौकरी पर कोई आंच न आए। मगर मूवमेंट के कुछ समय बाद ही यहां पहले जैसी स्थिति बन जाती है। सरकार और जिम्मेदार विभागों की दोहरी नीति से इजाके के लोगों में खास रोष व्याप्त है। सैयद रजा हुसैन रिजवी उर्फ नईम मामू बताते हैं कि नगर निगम की लापरवाही की वजह है कि इलाके के कूड़ा घर की हालत खराब है। नगर निगम का पशुचिकित्सा विभाग हो या स्वास्थ्य विभाग सभी अपनी जिम्मेदारियों से दर-किनार हैं। यही वजह है कि इलाके के कूड़ा घर पर आवारा जानवरों का आतंक तो है ही इसके साथ लोगों के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है। अली आगा बताते हैं कि जोनल अधिकारी डॉ बिन्नों रिजवी से कई बार इस मामले में शिकायत की इसके बावजूद कोई कार्रवाई होती नहीं दिख रही। अजीज रिजवी उर्फ बब्लू बताते हैं कि कूड़ा घर के ठीक बराबर में हमारी दुकान है, कूड़े की गंध और आवारा जानवरों के भय से काम करना मुश्किल रहता है। हुसैनाबाद के कूड़ा घर से समय-समय पर गाडिय़ों द्वारा कूड़ा उठाया जाता है। आवारा जानवरों को पकड़वाने का अभियान चलाया जायेगा। अगर कोई सफाईकर्मी कूड़ा सड़क पर फेकते पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। –डॉ बिन्नों रिजवी, जोनल अधिकारी, जोन-6