बीजेपी और सपा दोनों के सामने चुनौती
लखनऊ। मिल्कीपुर विधानसभा सीट हाइप्रोफाइल बन गई है। इसपर देश भर की नजर है।फैजाबाद संसदीय क्षेत्र में अयोध्या है और अयोध्या में भाजपा की हार राष्ट्रीय सुर्खियां बनी हुई है। यहां से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं।उन्हों दो बार के सांसद रहे भाजपा नेता लल्लू सिंह को हराया। विपक्षी इंडिया गठबंधन अवधेश प्रसाद को हीरो की तरह पेश कर रहा है।उन्हें लोकसभा में राहुल गांधी और अखिलेश यादव के साथ पहली कतार में बैठाया जा रहा है।अवधेश प्रसाद की जीत को विपक्षी सपा और कांग्रेस एक प्रतीक के तौर पर पेश कर रही हैं। भाजपा ने इसे चुनौती के रूप में लिया है। प्रदेश भाजपा का मानना है कि फैजाबाद संसदीय सीट पर अवधेश प्रसाद की जीत एक तुक्का है। बीजेपी ने मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए अभी से एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। अवधेश प्रसाद से सामने भी चुनौती है, वह भी साबित करने में लगे हैं कि फैजाबाद संसदीय सीट पर जीत तुक्का नहीं बल्कि भाजपा के खिलाफ जनता की नाराजगी का परिणाम है। मिल्कीपुर सीट पर होने वाला विधानसभा उपचुनाव प्रदेश और देश की राजनीति के लिए सबसे अहम बन गया है। अवधेश प्रसाद भी मैदान में डट गए हैं। उनके पास सपा मुखिया अखिलेश यादव का पूरा सहयोग है।सपा यहां से उपचुनाव में अवधेश प्रसाद के बेटे को उम्मीदवार बना सकती है।मिल्कीपुर में भाजपा काफी पहले से लग गई है। उसके नेता ल कार्यकर्ताओं और जनता के बीच सर्वे कर रहे हैं।वे सर्वे रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को सौंपेंगे। रिपोर्ट के आधार पर पार्टी जातीय समीकरण तैयार करेंगी और फिर उम्मीदवार उतारेगी।वही सपा लोकसभा में अपने टेस्टेड फॉर्मूले पीडीए को अपनाएगी। पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक फॉर्मूले को अपनाएगी। पीडीए फॉर्मूले के तहत सपा ने लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की है,उसे 37 सीटें मिली हैं।