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दागीसूचना आयुक्त के हाथों होगा आरटीआई बैठक का समापन

लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के होटल क्लार्क अवध में स्टैंडिंग कॉन्फ्रेंस ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज (स्कोप) द्वारा आरटीआई एक्ट पर बीते कल से शुरू हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक का आज समापन होना है. बीते कल केन्द्रीय मुख्य सूचना आयुक्त वाई. के. सिन्हा ने आज बैठक का उद्घाटन किया था. बैठक में प्रशासनिक सुधार और लोक सेवा प्रबंधन एवं सचिवालय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव के. रविन्द्र नायक और स्कोप के महानिदेशक अतुल सोबती भी उपस्थित रहे. यह बैठक सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के लोकसेवकों को अपने कार्यकरण में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन सुनिश्चित कर उद्यमों की भविष्य की परियोजनाओं को मजबूत आधारशिला प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किये जाने के लिए आयोजित की जा रही है लेकिन आपको कैसा लगेगा अगर आपको पता चले कि इतने महान उद्देश्य के लिए किये जा रहे इस आयोजन का समापन यूपी के एक ऐसे सूचना आयुक्त द्वारा किये जाने की बात सामने आ रही है जिस पर भ्रष्ट आचरण में लिप्त होकर लोकसेवकों पर मनमाना दंड लगाने के आरोप हों.अगर आपको सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती की मनमानी और भ्रष्ट कार्यप्रणाली की बानगी देखनी हो तो आपको यूपी के सूचना आयोग की अपील संख्या एस-6 रू 3286 ध् ए ध् 2018 हनुमान प्रसाद बनाम पीआइओ, कार्यालय मुख्य चिकित्साधिकारी की तह तक जाना होगा. मामला साल 2018 के जून महीने की 12 तारीख को हनुमान प्रसाद द्वारा सूचना मांगे जाने के बाद साल 2020 के जून महीने की 27 तारीख को सीएमओ गोंडा कार्यालय द्वारा सूचना दिए जाने से सम्बंधित था.इस मामले में उप्रेती ने साल 2020 के सितम्बर महीने की 24 तारीख को क्षेत्रवाद और भाई-भतीजाबाद संस्कृति की पराकाष्ठा पार करते हुए आरटीआई एक्ट को ताक पर रख दिया और पूर्व मुख्य चिकित्साधिकारी डा. संतोष कुमार के ऊपर 10 हजार रुपयों का मनमाना दंड उनके मैदानी मूल का होने के कारण लगाया और साल 2019 के जून महीने की 30 तारीख को डा. संतोष की सेवानिवृत्ति के बाद गोंडा की मुख्य चिकित्साधिकारी बनी पहाड़ी मूल की मधु गैरोला पर तुलनात्मक दंड नहीं लगाया जबकि यदि डा. संतोष कुमार लगभग 1 वर्ष तक सूचना नहीं देने के दोषी थे तो उनकी सेवानिवृत्ति के बाद सीएमओ पद पर आई मधु गैरोला भी लगभग 1 वर्ष तक सूचना नहीं देने की सामान रूप से दोषी थीं लेकिन पहाड़ी मूल के उप्रेती द्वारा क्षेत्रवाद और भाई-भतीजाबाद संस्कृति को खुलेआम पोषित करते हुए मात्र मैदानी मूल के व्यक्ति को दण्डित किया गया और पहाड़ी मूल के व्यक्ति को क्लीन-चिट दे दी गई जो उच्च पदों पर बैठे उप्रेती जैसे लोगों के भ्रष्ट आचरण का अत्यंत ही वीभत्स रूप है जिसकी जितनी भर्त्सना की जाये वह कम है। इस मामले को आज उठाते हुए राजधानी के राजाजीपुरम निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा ने आरटीआई सभा की आयोजक संस्था स्टैंडिंग कॉन्फ्रेंस ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज (स्कोप) से सार्वजनिक रूप से अपील की है कि वे अपने इस महान कार्यक्रम का समापन उप्रेती जैसे सूचना आयुक्त से न करायें ताकि कार्यक्रम में उपस्थित जन सूचना अधिकारियों में कोई प्रतिकूल सन्देश न जाए. साथ ही संजय ने कार्यक्रम में जाने वाली मीडिया से सार्वजनिक अपील की है कि यदि इस कार्यक्रम में उनका सामना उप्रेती से होता है तो वे उप्रेती से यह प्रश्न अवश्य करें कि आखिर किस आधार पर उप्रेती ने संतोष को तो दण्डित किया लेकिन मधु को क्लीन-चिट दी जबकि दोनों ही ने सूचना देने में लगभग समान अवधि की देरी की थी।

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