संवाददाता राज इटौंजा
लखनऊ। (बख्शी का तालाब) तहसील क्षेत्र के अंतर्गत कई ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार दिखाई दे रहा है। जहां क्षेत्र में सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है। कि घटिया सामग्री से बनाए जा रहे। शौचालय और मानक के अनुसार नहीं लगाया जा रहा मटेरियल जहां पर देखने से यह भी ज्ञात हो रहा है कि लगाया गया प्लास्टर भूर भूर करके गिर रहा है। इससे साफ साफ प्रतीत होता है कि घटिया निर्माण सामग्री से आनन-फानन में शौचालय बनाकर तैयार कर कागजों पर ओके कर अधिकारी लाखों करोड़ों रुपए अपनी अपनी जेबों में भरकर कारों से बीकेटी कार्यालय चक्कर लगाते नजर आते हैं।फिर ठेकेदारों के क्या कहने सूत्र यह भी बताते हैं कि ठेकेदार मनचाहे मटेरियल से शौचालय बनवा कर कागजों पर लाभार्थियों से साइन भी करा लेते हैं । और विकास खंड कार्यालय बीकेटी में बैठे रिश्वतखोर अधिकारी भी रुपया लेकर कागजों पर जांच कर आख्या रिपोर्ट भी लगा देते हैं। और अपनी जेबे भरने में मस्त नजर आते हैं। जहां कहीं इस मामले में ग्रामीणों द्वारा किसी भी प्रकार की शिकायत दी जाती है तो कूड़े खाने में डालकर अनदेखा किया जा रहा है। बीकेटी विकास खंड कार्यालय बना भ्रष्टाचारियों का तबेला बख्शी का तालाब विकास खंड कार्यालय की सभी 113 ग्राम पंचायतें सभी ग्राम पंचायतों में सरकार द्वारा ओडीएफ अभियान के तहत ठेकेदारों के जरिए बनवाए गए शौचालय पहली बारिश में ही ढह गये हैं। बीकेटी विकास खंड कार्यालय के गांव चक बनकट में एक ग्रामीण का शौचालय भरभरा कर ढह गया। यह एक बीकेटी ब्लॉक में बांनगी का उदाहरण है। जिन शौचालयों के सालों साल चलने का दावा किया जा रहा था, वे वर्ष की पहली बौछार भी झेल नहीं पा रहे हैं। ताजा मामला बख्शी का तालाब तहसील की ग्राम पंचायत दौलतपुर के मजरा चकबनकट गांव का है, जहां घरों में स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत प्रधानों द्वारा ठेकेदारों से शौचालय बनवाए गए थे। ये शौचालय बनने के कुछ दिनों बाद ही वर्षा ऋतु की शुरुआत में ही ढहने शुरू हो गए हैं। गांव के निवासी छोटकाउ की पत्नी सरपा देवी के नाम से बना शौचालय पूरी तरह से ध्वस्त होकर नीचे गिर गया, जबकि इसी शौचालय के बगल में ही निर्मित राम कुमार की पत्नी तारावती देवी के शौचालय की फर्श भी टूट गई है और उसमें दरार साफ दिख रही है। ग्रामीणों से मिली जानकारी पर भरोसा करें तो बख्शी का तालाब अंतर्गत
चकबनकट, मंझोरिया,असनहा,उसरना, अटेसुआ,सोनवां,माधौपुर, भाखामऊ, कुम्भरावां,पहाड़पुर, शिवपुरी, राजापुर,हरधौरपुर, आदि अनेकों पंचायतों में ओडीएफ अभियान के तहत ठेकेदारों द्वारा बनाए गए अनेक ऐसे शौचालय हैं जो मानक के अनुरूप निर्माण नहीं होने के चलते अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। यही कारण है कि क्षेत्र में ओडीएफ अभियान विफल साबित हो रहा है। सबसे अधिक हैरानी की बात तो यह है कि ठेकेदार या एनजीओ से व्यक्तिगत शौचालय नहीं बनवाए जाने के प्रावधान के बावजूद सरकार से जुड़ी संस्थाओं, कर्मियों व प्रतिनिधियों द्वारा न सिर्फ ठेकेदार से शौचालय बनवाया गया। बल्कि मानकों के अनुरूप नहीं होने के बावजूद प्राथमिकता के आधार पर उनके एवज में लाभार्थियों के खाते में भुगतान किया गया। इस से भी अधिक हैरानी की बात तो यह है कि ठेकेदारों द्वारा निर्मित शौचालयों के लाभार्थियों के खातों में भुगतान महज एक दिखावा साबित हो रहा है। क्योंकि अक्सर उन लाभुकों को पता भी नहीं रहता कि उनके बैंक के खातों में कौन सा खेल चल रहा है। चूंकि उनके शौचालय ठेकेदार द्वारा निर्मित होते हैं, इसलिए किसी न किसी उपाय से उनके खाते में से राशि निकाल ली जाती है। क्षेत्र की दर्जनों पंचायतों में तो ठेकेदार द्वारा निर्मित शौचालयों के कई लाभुकों के खातों में से बारह हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि को अन्य लोगों के खातों में ट्रांसफर करा दिया गया। गोरखधंधे का सबसे दुखद पहलू यह है कि ओडीएफ अभियान की इस धांधली के सबसे अधिक शिकार वे गरीब लोग हो रहे हैं जिन्हें शौचालय की सबसे अधिक जरूरत है। धांधली के चलते उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। उनके नाम से प्रोत्साहन राशि का उनके बैंक खाते में भुगतान भी हो जा रहा है और उपयोग के लायक उनका शौचालय भी नहीं बन रहा है। इसके चलते उनमें से बड़ी संख्या में लोग खुले में शौच के लिए शौचालय बनने के बाद भी अभिशाप्त हैं। वहीं ग्राम पंचायत दौलतपुर का मजरा चकबनकट आज भी विकास के नाम पर हुई धांधली की गवाही दे रहा है स्थानीय निवासी श्री विलास तिवारी के दरवाजे पर 2 वर्ष से नल खराब है जिससे लगभग 10 परिवारों को पानी की किल्लत है।वहीं प्रकाश तिवारी के घर के सामने नाली टूटी होने के कारण लोग व बच्चे चोटिल हो रहे है।ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान व सचिव सिर्फ धन का बंदरबांट कर रहे है।ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत में हुए विकास कार्यो की जांच कराये जाने की मांग की है।