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कोई हार का दाग धोने के लिए तो कोई जीत बरकरार रखने को बेताब 

 नगर पालिका व नगर पंचायत फतह भाजपा के लिए चुनौती
लखनऊ। राजनीति की नर्सरी कहे जाने वाले निकाय चुनाव के कार्यक्रमों का भले ही निर्वाचन आयोग द्वारा ऐलान न किया गया हो लेकिन सभी प्रमुख दलों ने इसकी तैयारी तेज कर दी है। इसमें कोई हार के दाग को धोना चाहता है तो कोई जीत का सिलसिला  बरकरार रखना चाहता है। इसीलिए इस चुनाव में सभी दल कुछ न कुछ नया करने जा रहे है।  यूपी में इस बार 14 नगर निगमों, 202 नगर पालिकाओं एवं 430 नगर पंचायतों में मेयर एवं चैयरमैन का निर्वाचन होना है। इन सभी निकायों के 11933 वार्डो में भी पार्षद एवं सदस्य का चुनाव होना है। सूत्रों की माने तो इस माह के अंत तक राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव के कार्यक्रमों का ऐलान कर देगा। बहरहाल सभी दलों ने इस चुनाव को लेकर तैयारियां तेज  कर दी है।
इस चुनाव में भाजपा अपना विजय रथ पूर्व की तरह दौडाना चाहती है। उसके लिए नगर निगमों में जीत का सिलसिला बरकरार रखने की चुनौती है। वहीं नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों को विपक्षी दलों छीन कर वहा पर कमला खिलाने की कठिन डगर है। इसके लिए पार्टी एक बार फिर पीएम मोदी की नीतियों का सहारा ले  रही है। वहीं यूपी में योगी सरकार के कुछ निर्णयों के जरिये भाजपा लोगों को आकर्षित करना चाह रही है। इसके लिए कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में किया  गया।  इसके साथ ही सपा बसपा के समक्ष यह  चुनाव काफी अहम है क्योंकि वह हाल  में मिली करारी हार का दाग धोना चाहते है। इसके अलावा नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों  में अपना कब्जा बरकरार रखने की बडी चुनौती है। इसीलिए यह दोनों ही दल पहली बार अपने अपने सिंबल पर चुनाव लडने जा रहे है। इसके लिए बाकायदा आवेदन लिये जा रहे है। बसपा ने इस बार बिना पैसे से टिकट देने का निर्णय लिया है।
निकाय चुनाव की तैयारी को लेकर कांग्रेस में अभी बेठकें हो रही है। पार्टी हाई कमान अब तक सपा के साथ गठबंधन को लेकर रूख साफ नहीं कर पाया है। लेकिन स्थानीय नेता अपने दम पर चुनाव लडने का मन बना चुके है।  पिछले  चुनाव के परिणामों पर नजर डाले तो 2012 में 12 नगर निगमों में  चुनाव हुए थे। इसमें 11 पर भाजपा को विजयश्री मिली थी। एक सीट पर सपा को कामयाबी  मिली थी। इस तरह 194 नगर पालिकाओं में भाजपा को सिर्फ 42 स्थानों पर चेयरमैन जिताने में कामयाबी मिली। जबकि सपा एवं बसपा को 130 और कांग्रेस के 15 चेयरमैन जीते थे। इसी तरह 423 नगर पंचायतों  में भाजपा को 36 सीटों पर सफलता मिली थी। वहीं सपा एवं बसपा को 352, कांग्रेस को 21 जगह कामयाबी मिली।  इस तरह भाजपा के समक्ष नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों को विरोधियों को कब्जे को समाप्त कर पार्टी की झोली मे ंडालने की चुनौती है।

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