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अर्थदण्ड नहीं चुका पा रही थी बंदिनी: हुई रिहा

गोसाईगंज जेल से हुई आज़ाद
लखनऊ। राजधानी में कार्यरत निवारण सेवा संस्थान ने शनिवार को नारी बंदी निकेतन, गोसाईगंज में अनोखी पहल करते हुआ ऐसी बंदिनी को मुक्त कराया जो दरिद्रता के कारण अपना अर्थदंड नहीं भर पाने की स्थिति में थी। इस कारण वश वो सजा पूरी होने के बावजूद भी जेल में रहने को मजबूर थी। संस्था के संचालक वरुण देव गुप्ता ने कहा की सामाजिक संगठन होने के नाते निवारण की टीम पहले भी नारी बंदी निकेतन आयी है और उसी दौरान यह मामला उनके संज्ञान में आया था। वरुण आगे कहते हैं की उक्त बंदिनी की आयु करीब 55 वर्ष है और उनकी 10 साल के कारावास की अवधि पूर्ण हो चुकी थी। मात्र अर्थदंड के आभाव में बंदिनी की रिहाई रुकी हुई थी, अतः मानवता के नाते संस्था ने आज अर्थदंड अदा क़र बंदिनी को मुक्त कराया। संस्था के दूसरे सदस्य उज्ज्वल उर्फ़ अक्स लखनवी ने कहा की आज बंदिनी की रिहाई जेलर महोदया नयन तारा के सहृदयता का परिचय है और उन्होंने ही यह मामला संस्था तक पहुंचाया था। अक्स बताते हैं की जेल प्रशासन के अधिकारी भावनात्मक रूप से बंदिनियों से जुड़े हैं तथा उनकी संस्था बंदिनियों के उत्थान हेतु बराबर जेल अधिकारीयों से संपर्क में है। इस मौके पर संस्था से शैलेन्द्र निगम, अंजलि सक्सेना, डॉ कोमल भार्गव आदि मौजूद रहे।

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