Home > स्थानीय समाचार > एडीसी की कार्यपद्धति से राजभवन की प्रतिमा बनती है : राज्यपाल

एडीसी की कार्यपद्धति से राजभवन की प्रतिमा बनती है : राज्यपाल

राजभवन में हुआ एडीसी मैनुअल का विमोचन
रंजीव
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने बुधवार को राजभवन में आयोजित एक ‘इन हाउस’ कार्यक्रम में परिसहाय (एडीसी) के कर्तव्यों एवं दायित्वों पर आधारित मैनुअल ‘कंपेडियम आॅफ इंस्ट्रक्शन फाॅर ए0डी0 कैम्प टू गवर्नर, उत्तर प्रदेश’ का विमोचन किया। यह मैनुअल पूर्व एडीसी गौरव सिंह एवं मेजर शरत नाबिंयार द्वारा संकलित किया गया है जिसमें वर्तमान एडीसी स्क्वा0लीडर प्रवीण भौरिया एवं डाॅ0 अभिषेक महाजन ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राजभवन उत्तर प्रदेश में ‘कंपेडियम आॅफ इंस्ट्रक्शन फाॅर ए0डी0 कैम्प टू गवर्नर, उत्तर प्रदेश’ के प्रकाशन से पूर्व एडीसी के कर्तव्य एवं दायित्व से संबंधित कोई सुव्यवस्थित संकलन लिखित रूप में उपलब्ध नहीं था। मैनुअल का प्राक्कथन राज्यपाल द्वारा लिखा गया है।
कार्यक्रम में प्रमुख सचिव जूथिका पाटणकर, सचिव चन्द्र प्रकाश, विधि परामर्शी एस0एस0 उपाध्याय, विशेष सचिव नेहा पाण्डेय सहित राजभवन के समस्त अधिकारी, कर्मचारी एवं सुरक्षाकर्मी उपस्थित थे। इस अवसर पर राज्यपाल के साथ पूर्व में एडीसी की भूमिका में कार्य करने वाले गौरव सिंह, मेजर शरत नाबिंयार, स्वपनिल ममगई पुलिस अधीक्षक मथुरा, गोपेन्द्र प्रताप पुलिस अधीक्षक चित्रकूट, आकाश तोमर पुलिस अधीक्षक (नगर) गाजियाबाद, विनीत जायसवाल अपर पुलिस अधीक्षक इलाहाबाद को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।
राज्यपाल ने विमोचन के पश्चात् अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राजभवन में एडीसी की प्रमुख भूमिका होती है जो राजभवन की गरिमा को बढ़ाने का काम करते हैं। एडीसी की अलग पहचान और रूआब होता है। प्रदेश में राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व अन्य महानुभावों के आगमन पर जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित करने के साथ-साथ कार्यक्रम को सफल बनाने में एडीसी का महत्वपूर्ण योगदान होता है। राज्यपाल की शपथ ग्रहण समारोह, विदाई समारोह, मुख्यमंत्री व मंत्रिमण्डल के शपथ ग्रहण समारोह सहित अन्य समारोहों में एडीसी का प्रमुख दायित्व होता है। उन्होंने कहा कि एडीसी की कार्यपद्धति से राजभवन की प्रतिमा बनती है।
श्री नाईक ने कहा कि एडीसी मैनुअल एक तरह से डाक्यूमेंटेशन है, भविष्य में राजभवन आने वाले अधिकारियों को इसके माध्यम से यहाँ की कार्यपद्धति को समझने में आसानी होगी। एडीसी के दायित्वों के बारे में अधिकृत जानकारी का कोई संकलन अथवा पुस्तक न होना आश्चर्य की बात है। उन्होंने राजभवन के समस्त लोगों से सुझाव मांगते हुए कहा है कि उनके उपयुक्त सुझावों को समाविष्ट करके यह संकलन राष्ट्रपति व अन्य राजभवनों को भी भेजा जायेगा। उन्होंने कहा कि मैनुअल निश्चित रूप से समय-समय पर एडीसी के कार्यों के निर्वहन में उपयोगी सिद्ध होगा।
राज्यपाल ने चुटकी लेते हुए कहा कि आम तौर से परिसहाय राज्यपाल के पीछे खड़े होते है और कभी-कभी उनका छायाचित्र भी समाचार पत्रों में आ जाता है। आमतौर से वे बोलते नहीं हैं। आज राजभवन में परिसहायों को अपने विचार व्यक्त करते हुए भी सुना। उन्होंने कहा कि राजभवन में लिखने की प्रगति देखने को मिलती है। यहाँ आकर उन्होंने भी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ लिखी है जो अब तक पांच भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है। विधि परामर्शी द्वारा भी दो पुस्तकें लिखी गई तथा प्रतिवर्ष धन्वन्तरि जयंती पर ‘शतायु की ओर’ पत्रकों का प्रकाशन होता है। उन्होंने कहा कि राजभवन में कवि, नाटककार व अन्य कलाओं में पारंगत लोग भी हैं।
प्रमुख सचिव श्री राज्यपाल जूथिका पाटणकर ने एडीसी मैनुअल के संकलन की बधाई देते हुए कहा कि एडीसी मैनुअल जिंदा किताब है जिसमें आगे भी नये अध्याय जुड़ते रहेंगे। दिशा-निर्देश के लिए यह एक अच्छा संग्रह साबित होगा। अच्छे प्रकल्पों में राजभवन ने सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है। राजभवन में न्याय, चिकित्सा, सुरक्षा, निर्माण एवं विद्युत, उद्यान, पत्रकारिता से जुड़े सभी तरह के विभाग हैं, जिससे राजभवन की जिन्दगी के हर पहलु का प्रतिनिधित्व होता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की कार्यशैली से राजभवन में काम करने वालों को प्रेरणा मिलती है।
मैनुअल की रूपरेखा तैयार करने वाले पूर्व एडीसी मेजर शरत नांबियार ने कहा कि मैनुअल का लोकार्पण उनके लिए विशेष महत्व रखता है। इसकी प्रेरणा उन्हें पूर्व प्रमुख सचिव श्री राज्यपाल श्री राजीव कपूर से मिली थी। उन्होंने कहा कि इस मैनुअल में आने वाले वर्षों में आवश्यकतानुसार संशोधन होते रहेंगे।
मैनुअल के संकलनकर्ता पूर्व एडीसी गौरव सिंह ने कहा कि प्रक्रिया को सुधारने और लिपिबद्ध करने की प्रेरणा राज्यपाल द्वारा मिली है। यह संग्रह उसी मार्गदर्शन का एक भाग है। उन्होंने कहा कि मैनुअल द्वारा राजभवन की परम्पराओं को नई ऊंचाईयों तक ले जाने में सहायता मिलेगी।
एडीसी, स्क्वाड्रन लीडर प्रवीण भौरिया ने कहा कि वे वायु सेना में पेशे से इंजीनियर हैं। उन्होंने अनेक भूमिकाओं में फील्ड में काम किया है परन्तु शासकीय कार्य का अनुभव नहीं था। राजभवन आने के बाद पूर्व परिसहायों से बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि यह मैनुअल परम्परागत तरीके से दायित्वों के निर्वहन में मार्गदर्शक का काम करेगा।
एडीसी, डाॅ0 अभिषेक महाजन ने कहा कि यह संकलन भविष्य में आने वाले अधिकारियों के लिए उपयोगी होगा। उन्होंने कहा कि मैनुअल के माध्यम से एडीसी के दायित्वों की सारी जानकारी एक जगह पर मिल जायेगी।
इस अवसर पर सचिव श्री राज्यपाल ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा धन्यवाद ज्ञापन विशेष सचिव  नेहा पाण्डेय द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का संचालन अपर विधि परामर्शी कामेश शुक्ल द्वारा किया गया। राजभवन में तैनात उपनिरीक्षक श्री कुलदीप सिंह ने एडीसी मैनुअल पर लिखित कविता का पाठ भी किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *