मोतीगंज गोंडा। मोदी सरकार द्वारा यह दावा किया गया है, कि 2022 तक देश में समस्त लोगों को पक्का घर उपलब्ध करा दिया जाएगा।पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है,इसके विपरीत होती है।जिसका उदाहरण विकास खण्ड मुजेहना के अंतर्गत,ग्राम सभा मूसापुर के मजरा करौंदा ने देखने को मिला है।उक्त गांँव निवासी धर्मराज नाऊ का घर आज भी मिट्टी के दीवाल पर छप्पर व टीन का बना हुआ है। ऐसे कई और लोग क्षेत्र में हैं जिन्हें आज तक आवास नहीं मिला। इन घरों के लोग आज भी छप्पर के टूटे-फूटे झोपड़ी नुमा मकान में रह रहे हैं, इसे कभी भी देखा जा सकता है। जिनको प्रधानमंत्री आवास के पात्र होने के बावजूद अभी तक नहीं मिला।इन्हें पक्का घर कब नसीब होगा,यह तो समय ही बताएगा,देश आजाद होने के 73 साल बाद भी इस गांँव के धर्मराज सहित अन्य कई लोग पन्नी तान कर व टीना रखकर घर में गुजारा करने के लिए मजबूर हैं। उक्त गांँव निवासी धर्मराज ने बताया, कि आवास के लिए ग्राम प्रधान से कई बार कहा लेकिन आवास नहीं मिला। छप्पर व टीन के घर में अपने परिवार के साथ रहता हूंँ। बरसात में पानी घर के अंदर भर जाता है, जिससे हम लोगों को लेटने बैठने के लिए काफी परेशानी होती है और बैठे-बैठे रात गुजारना पड़ता है बनी हुई मिट्टी की दीवाल भी बरसात के मौसम में गिर गया है अब हम इसकी शिकायत करें तो किस से करें हमारा सुनने वाला कोई नहीं है किसी तरह से बरसात तो कट गया अब ठंडी का मौसम आ गया है किसी तरह ठंडी भी कट जाएगा हम गरीब हैं इसलिए हमारी गरीबी को दूर करने वाला कोई नहीं है। छप्पर पर पन्नी डालकर रक्खा था। गति दिनों तेज हवा चलने के कारण पन्नी भी फाटकर इधर-उधर हो गया है।हम गरीब हैं किसी तरह मेहनत मजदूरी करके गुजर-बसर करते हैं।मेहनत से दो टाइम की रोटी तो किसी तरह से मिल जाता है।