Home > पूर्वी उ०प्र० > गोंडा > विद्युत विभाग से अधिकृत टीडीएस कंपनी के अधिकारियों पर मीटर रीडरों ने लगाया अवैध धन उगाही व शोषण करने का आरोप

विद्युत विभाग से अधिकृत टीडीएस कंपनी के अधिकारियों पर मीटर रीडरों ने लगाया अवैध धन उगाही व शोषण करने का आरोप

सीएम से लेकर एक्सईएन तक गोहार लगाने के बावजूद भी कार्यवाही शून्य

सुरेश कुमार तिवारी
कहोबा चौराहा गोण्डा। सइयां भए कोतवाल तो अब डर काहे का वाली कहावत विद्युत विभाग की विलिंग कम्पनी चरितार्थ कर रही है। जी हाँ बात कर रहे हैं जनपद के भीतर बिजली विभाग में बिलिंग का काम देख रही टीडीएस कंपनी की जिसके काम व कारनामों की चर्चा जोरों पर है। कंपनी में मीटर रीडरों से काम पर बने रहने के लिए 22000 रुपये की माँग की जा रही है। आप को बताते चलें कि इसके पूर्व सी.एस.पी.एल. कंपनी को बिलिंग करने का टेंडर था जो कि बीते माह में समाप्त होने के बाद उक्त टेंडर टी.डी.एस. कंपनी को प्राप्त हो गया। जिस कंपनी में पूर्व कंपनी में मीटर रीडर का कार्य कर रहे लोगों से मोटी धन उगाही कंपनी में तैनात कुछ चुनिंदा अधिकारियों द्वारा किए जाने का मामला प्रकाश में आया है।यहीं नही चयनित मीटर रीडरों से सम्बंधित बिलिंग उपकरण दिलाये जाने के लिए भी 05 से 06 हज़ार रुपए की डिमांड रहती है जबकि ग्रामीण इलाकों में बिलिंग कर रहे मीटर रीडरों को 02 से 03 रुपये प्रति बिल के बावत दिया जाता है। मीटर रीडरों का आरोप है कि कार्य पर बराबर बने रहने के लिए कंपनी के सुपरवाइजर सहित उच्च अधिकारियों को पैसा देना पड़ता है। टी.डी.एस कंपनी में जिनको रीडिंग का काम मिल भी गया उनसे भी रीडिंग आईडी नम्बर देने के लिए भी पैसों की वसूली करने की शिकायत सामने आई है और मीटर रीडरों से एक निजी कंपनी द्वारा दुर्व्यवहार किया जा रहा है। मीटर रीडरों को आर्थिक और शारीरिक के साथ मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है। प्रताड़ना से तंग होकर मीटर रीडरों ने बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता, अधीक्षण अभियंता, प्रबन्ध निदेशक समेत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर बिजली विभाग में एक निजी कंपनी द्वारा की जा रही अवैध वसूली से व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने की कोशिश की परन्तु अब तक कार्यवाही शून्य है। बढ़ती महँगाई और बेरोजगारी ऊपर से निजी कंपनियों की लूट से आमजनमानस परेशान है फिर भी सरकार द्वारा विभागों में आउटसोर्सिंग को बढ़ावा दिया जाना कहां तक सही साबित होता है। इससे यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या मीटर रीडरों की समस्या को जिम्मेदार पदों पर बैठे पदासीनों को देखने की फुर्सत नहीं है या फिर पैसों की चमक के आगे मीटर रीडरों की समस्याएं फीकी नजर आती हैं। अगर ऐसा नहीं है तो मीटर रीडरों की समस्याओं को सुनकर निराकरण क्यों नही कराया जाता। यदि सरकार द्वारा विद्युत विभाग में बिलिंग का कार्य निजी कंपनी से न कराकर अपने विभागीय कर्मचारियों से कराए तो बेहतर होगा। सरकार के मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक बड़ी बड़ी रैलियों में लाखों शिक्षित नौजवानों को रोजगार देने की बात कहते नजर आते हैं तो क्या साहब सरकारी विभागों को निजी कंपनियों के हाथों में सौंपा जाना ही रोजगार है।एक तरफ जहाँ कोरोना काल में भी सांसद-विधायक के बेतन में वृद्धि की गई वहीं दूसरी तरफ सरकारी विभागों में चंद हज़ार रुपयों में कर्मचारियों की तैनाती निजी कंपनियों के तहत आउटसोर्सिंग के अंतर्गत की जाती है। इतना ही नही प्राइम वन नामक कंपनी के अंतर्गत विद्युत विभाग में कार्य कर रहे हज़ारों संविदा कर्मियों द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर करीब ढाई महीने से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है परन्तु उनके समस्याओं को कोई भी जिम्मेदार अधिकारी व सरकार के मंत्री सुनने को तैयार नही है जिससे व्यापक भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को बढ़ावा मिल रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *